पंजाब की जेलों में कमांडैंटों को सुपरिटैंडैंटों के पद पर नियुक्ति करने पर रोक, हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

Edited By Vatika,Updated: 23 May, 2022 01:31 PM

ban on appointment of commandants to the post of superintendents in punjab jails

ननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए पंजाब की जेलों में बार्डर सिक्योरिटी

लुधियाना (स्याल): माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए पंजाब की जेलों में बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के कमांडैंटों को जेल सुपरिटैंडैंटों के पद पर नियुक्ति करने पर रोक लगा दी है। यह फैसला माननीय हाईकोर्ट ने बलजीत सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब सरकार केस की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। यह याचिका पंजाब में जेलों के अधिकारी बलजीत सिंह, अरविन्द्रपाल सिंह, राजीव अरोड़ा व ललित कुमार कोहली ने संयुक्त रूप से सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए माननीय हाईकोर्ट में दायर की थी।

जिसमें याचिका पक्ष की ओर से यह कहा गया था कि जेल सुपरिटैंडैंट के पद पर प्रोमोशन के जरिये अधिकारी पहुंचते हैं और पंजाब प्रिजन सर्विस क्लास-2 के अधीन उनके पास जेलों के कामकाज का अनुभव भी होता है। लेकिन अब बी.एस.एफ. के अधिकारियों को भी डैपुटेशन के तौर पर जेलों में लगाया जा रहा है, जिनके पास जेलों के काम का कोई अभयास नहीं होता। इस सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने कई प्रकार की दलीलें दीं और याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से वकीलों ने पेश होकर कहा कि पंजाब में 10 सैंट्रल जेलें हैं, जिसमें से 6 खाली पड़ी थीं। इस संबंध में 25-06-2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री की अगवाई में बैठक हुई, जिसमें पंजाब की जेलों में स्टाफ की कमी पर चर्चा हुई और जेलों में कामकाज को सुचारू रूप से रखने के लिए, यह फैसला किया गया कि खाली पदों को पंजाब पुलिस व सैट्रल पैरामिल्ट्री फोर्स को डेपुटेशन पर बुलाकर तैनाती की जाएगी।

यह भी दलील दी गई कि जब यह फैसला लिया गया, तब पटीशनकर्ताओं में से कोई भी इस पद के योग्य नहीं था, जबकि इनकी योग्यता 2024 में पूरी होगी। इसलिए अगर डैपुटेशन पर अधिकारियों की नियुक्ति होती है तो यह पटीशनकर्ताओं के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माननीय न्यायधीश हाईकोर्ट अपने फैसले में लिखा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सैंट्रल जेल का सुपरिटैंडैंट रूलज 1979 के अधीन आते हैं। जो भारत के संविधान की धारा 309 के अधीन है। इस तरह से जो नियम नागरिकों पर लागु होते हैं, वहीं राज्य पर भी होते हैं। फैसलें में यह भी कहा गया कि जेल सुपरिटैंडैंट का पद प्रोमोशन के जरिये भरा जाएगा और उन्हीं अधिकारियों में से चुना जाएगा जो क्लास-2 सर्विस का 4 साल का अनुभव रखते हैं। माननीय श्री महावीर सिंह सधू, जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जहां पटीशनकर्ताओं की याचिका को मान्य करार दिया, वहीं सरकार के डेपुटेशन के जरिये जेल सुपरिटैंडैंट के पद भरने के निर्णय को रद्द कर दिया।

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