AAP का अस्तित्व खतरे में, 2017 के वि.स. चुनावों में जुड़े यूथ ने फेरा मुंह!

Edited By Vatika,Updated: 09 Dec, 2019 11:38 AM

aap punjab

पिछली विधानसभा चुनावों दौरान पंजाब के नौजवान व आम लोग आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जुड़ गए थे।

दोराहा (सूद): पिछली विधान सभा चुनावों दौरान पंजाब के नौजवान व आम लोग आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जुड़ गए थे। जिस कारण उस समय आम आदमी पार्टी के बढ़ती लोकप्रियता को देखकर जहां दूसरी राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े कद के नेता सोचने के लिए मजबूर हो गए थे, वहीं आम आदमी पार्टी के सीनियर नेताओं ने चुनाव रैलियों के दौरान कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा जैसी पार्टियों पर तीखे हमले करके 100 से अधिक सीटों पर जीत प्राप्त करने का दावा किया था, परन्तु उस समय आम आदमी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई थी।

जिसके बाद राज्य के अंदर कई स्थानों पर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने लोगों के बीच जाना बंद कर दिया और कई नेताओं ने दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिला लिया। जिस कारण आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता कई स्थानों पर दिन व दिन घटनी शुरू हो गई। ठीक इसी तरह यदि स्थानीय शहर और क्षेत्र की बात की जाए तो यहां भी विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लडऩे वाले नेता पर कई तरह के आरोप लगने के बाद उसने पार्टी का साथ छोड़ दिया था। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के मौजूदा सीनियर नेताओं की तरफ से लोगों की समस्याओं की तरफ ध्यान न देने के कारण भी पार्टी की लोकप्रियता दिनों दिन कम होनी शुरू हो गई। यहां ही बस नहीं पिछली विधानसभा चुनावों दौरान आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा करने वाले और शहर में बड़ी रैलियां करने में अहम भूमिका निभाने वाले ‘आप’ पार्टी के साथ जुड़े शहर के कुछ सीनियर नेता अब शहर अंदर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के घुटने पकड़ कर उनसे आशीर्वाद लेते हुए भी नजर आ रहे हैं।

जो इस ओर इशारा करता है कि ‘आप’ के साथ जुड़े कई नौजवानों और आम लोगों ने पार्टी से मुंह फेरना भी शुरू कर दिया है। पार्टी के सीनियर नेता भी लोगों की समस्याओं के साथ-साथ जुड़े वर्करों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते पार्टी का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है। उधर, सूत्रों के अनुसार और आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े कई वर्करों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर व क्षेत्र के अंदर प्रधानगियों और अन्य ऊंचे ओहदों पर बैठे ‘आप’ के नेता पंजाब और दिल्ली की सीनियर लीडरशिप तक अपनी पहुंच के कारण कुछ भी कर सकने का दम रखते हैं परन्तु वह लोगों में जाना पसंद नहीं करते। जिस कारण पार्टी के साथ जुड़े शहर और क्षेत्र के दुखी वर्कर किसी भी समय पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। अब देखना यह है कि आम आदमी की राज्य की सीनियर लीडरशिप शहर और क्षेत्र के अंदर पार्टी की मजबूती के लिए क्या कुछ करेगी यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा।

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