क्या गठजोड़ टूटने से पहले टूटेगी बादल की चुप्पी?

Edited By swetha,Updated: 27 Jan, 2020 10:14 AM

parkash singh badal

देश की राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव ने पंजाब का चुनावी अखाड़ा 2022 से पहले ही गर्मा दिया है।

पटियाला/रखड़ा(राणा): देश की राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव ने पंजाब का चुनावी अखाड़ा 2022 से पहले ही गर्मा दिया है। एक तरफ जहां भाजपा नेताओं के तीखे बयानों ने अकाली नेताओं को मुश्किल में ला दिया है, वहीं दूसरी तरफ टकसालियों की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का आगामी मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा ने पंजाब के वोटरों को असमंजस में डाल कर रख दिया है। 

इतना ही नहीं दिल्ली चुनाव में शिरोमणि अकाली दल बैकफुट पर आ जाने के कारण पंजाब के लोगों का इससे अब दिनोंदिन विश्वास उठना शुरू हो गया है। पहले शिरोमणि अकाली दल की तरफ से संसद में सी.ए.ए. के हक में आना और बाहर आकर अल्पसंख्यकों के हक में समर्थन का नारा लगाना भी अकालियों की दोगली नीति को उजागर कर गया। 

इस मामले को लेकर भाजपा ने अकाली दल को अपना स्टैंड बदलने और स्पष्ट करने के लिया कहा था, परन्तु शिरोमणि अकाली दल द्वारा अपने बयानों पर कायम रहने के कारण दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अपने उम्मीदवार न उतारने का फैसला ले लिया गया। इसके बाद में भाजपा नेताओं द्वारा अकाली दल की अपेक्षा गठजोड़ तोडऩे के बयान देना और ऐसे बयानों का समर्थन करने के कारण पंजाब का अकाली दल के साथ जुड़ा कैडर और जनता असमंजस में हैं। इतना बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम घटने पर भी शिरोमणि अकाली दल और राजनीति के बाबा बोहड़ प्रकाश सिंह बादल की तरफ से अभी तक चुप साधे रखना भी सवालों के घेरे में है। क्या गठजोड़ टूटने से पहले प्रकाश सिंह बादल की चुप्पी टूटेगी? यह सवाल हर राजनीतिक ङ्क्षचतक के मन में घूम रहा है।

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