Edited By Vatika,Updated: 28 Mar, 2020 09:54 AM
कोरोना वायरस के चलते देश भर में हुए लॉकडाऊन के चलते दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी कमाने आई लेबर में जहां वायरस का खौफ है,
लुधियाना: कोरोना वायरस के चलते देश भर में हुए लॉकडाऊन के चलते दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी कमाने आई लेबर में जहां वायरस का खौफ है, वहीं दूसरी तरफ गांव में रह रहे अपने परिवारों की चिंता भी है। देश भर में अधिकतर फैक्टरियों को ताले लग चुके हैं और लेबर का काम करने वाले मजदूरों की कमाई भी बंद हो चुकी है।
मजदूरी कर पेट पालने वाले लोगों के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है जिस कारण मुश्किल दौर से गुजर रहे कई लोग अपने गांवों को वापस लौटने के लिए मजबूर है। ट्रेनें, बस व यातायात के अन्य साधन बंद होने के बावजूद उत्तर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों से आए लेबर का काम करने वाले लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ चल पड़े हैं। उनके साथी कई 100 किलोमीटर पैदल चल कर अपने गांव तक पहुंच चुके हैं, जिसके चलते उनके अन्य साथियों ने भी हौसला करते हुए कदम उठाना शुरू कर दिया है। पठानकोट के निकट लखनपुर से यू.पी. की तरफ जा रही करीब 10 मजदूरों की टोली ने बताया कि कुछ दिन में उनकी हालत खस्ता हो गई है। खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं। पहले उनके कुछ साथी पैदल ही गांव पहुंच गए तो उन्होंने भी अपना मन गांव जाने का बनाया। मोहम्मद सलीम, रजवान, सुलेवान ने बताया कि वे कल दोपहर को पठानकोट से चले थे और धीरे-धीरे लुधियाना पहुंचे हैं क्योंकि पता नहीं कब से काम शुरू होगा। गांव में परिवार की भी ङ्क्षचता है, ऊपर उधारी बढ़ती जा रही है। रोजगार के साधन बंद हैं ऐसे में गांव जाना ही ठीक है। रास्ते में बेशक ढाबे खुले हैं, लेकिन कम पैसे होने के कारण वे रोटी भी नहीं खा रहे, रास्ते में कहीं न कहीं लंगर देख कर रुक जाते हैं। वहां पर ही अपना पेट भर रहे हैं।
बार-बार बच्चों का फोन आया तो साइकिल पर निकला
साइकिल पर यू.पी. की तरफ जा रहे रामेश्वर ने बताया कि घर से बार-बार बच्चों का फोन आ रहा था, परिवार के अन्य सदस्य भी ङ्क्षचता में डूबे हैं। वह अकेला ही यहां पर रोजी कमाने के लिए आया था। उससे पहले भी उसके 6 साथी साइकिलों पर गांव पहुंचे तो उनकी टोली ने भी साइकिलों पर ही गांव जाने का मन बना लिया। एक दम काम बंद होने के कारण रोटी की समस्या पैदा हो गई है। रास्ते में कई नाकों पर पुलिस ने पकड़ा, कइयों ने धमकाया, सामान की तलाशी ली लेकिन उनकी मजबूरी को देखते हुए उन्हें जाने दिया। रास्ते में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है, बस केवल मोबाइल पर ही अपने परिवार से बार-बार बात कर उन्हें स्थिति बता रहे हैं।