Edited By Vatika,Updated: 16 Apr, 2021 03:17 PM
विदेशों में बसते पंजाबी प्रवासी तरक्की और शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच कर भी अपनी, जड़ को नहीं भूलते
समराला: विदेशों में बसते पंजाबी प्रवासी तरक्की और शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच कर भी अपनी, जड़ को नहीं भूलते। समराला के पास के गांव ढंडा निवासी चरनजीत सिंह ढंडा (26) पहले परिवार सहित कैलगरी में जा बसे थे। उन्होंने पंजाब में भाईचारक सांझ को और भी मज़बूत करने के इरादे से अपने पैतृक गांव ढंडा में लाखों रुपए ख़र्च करते हुए करीब डेढ़ एकड़ ज़मीन में हर धर्म और हर वर्ग के लोगों के लिए ‘सांझा घर ’ की स्थापना करके एक नई मिसाल पेश की है।
समराला शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर सरहिंद नहर के किनारे बनाए गए इस ‘सांझे घर ’ में अधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ कुदरती वातावरण का ख़ास ख़्याल रखा गया है, जिससे यहां आने वाला हर इंसान सकून और शांति के कुछ पल यहां बिताता हुआ भगदौड़ वाली ज़िंदगी की परेशानियों से छुटकारा पा सके। इस 'सांझे घर' के बारे बातचीत करते हुए प्रवासी भारतीय चरनजीत सिंह ढंडा ने बताया कि उनकी पत्नी हरमिन्दर कौर ढंडा और बच्चों की यह सोच थी कि पंजाब में ख़त्म हो रहे सांझे घरों के कल्चर को फिर से संजोया जाएं । सिर्फ इसी सपने को लेकर उन्होंने इस ‘सांझे घर ’ की स्थापना करते हुए यहां आने वाले लोगों के लिए सांझी रसोई सहित कई तरह की चीजों का निर्माण करवाया है। उन्होंने बताया कि लोगों को कुदरत के साथ जोड़ने के लिए अब यहां बांस के साथ कई छोटे -छोटे घर भी तैयार किए जा रहे हैं, जहां कि लोग कुछ दिन ठहर भी सकते हैं।
18 अप्रैल को लोक समर्पित होगा ‘सांझा घर ’
चरनजीत सिंह ढंडा ने बताया कि 18 अप्रैल को यह सांझा घर लोगों को समर्पित कर दिया जाएगा और इसकी सांभ-संभाल के लिए एक सांझी कमेटी भी बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यह घर सबका अपना होगा और कोई भी व्यक्ति यहां अकेला या परिवार सहित आ सकता है। यहां बनाई गई सांझी रसोई में यहां आने वाले परिवार ख़ुद अपनी पसंद का खाना भी बना सकते हैं।