Edited By Urmila,Updated: 15 Dec, 2025 10:15 AM

शहर में इन दिनों सूखी ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तापमान में गिरावट के साथ नमी की कमी के कारण नजला, जुकाम, खांसी, गले और नाक से संबंधित बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।
जालंधर (खुराना): शहर में इन दिनों सूखी ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तापमान में गिरावट के साथ नमी की कमी के कारण नजला, जुकाम, खांसी, गले और नाक से संबंधित बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। लोग एक ही दुआ कर रहे हैं कि जल्द बारिश हो, ताकि मौसम में नमी आए और बीमारियों से कुछ राहत मिल सके।
सूखी ठंड के साथ-साथ शहर में बढ़ता प्रदूषण भी स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। जगह-जगह टूटी और खोदी गई सड़कों के कारण शहर पूरी तरह धूल-मिट्टी से अटा पड़ा है। वाहनों की आवाजाही से हर समय धूल उड़ रही है, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। सुबह और शाम के समय हवा में धुंध और धूल का मिश्रण लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है।
हालात ऐसे हैं कि शहर के अधिकांश पेड़-पौधे भी मिट्टी की मोटी परत से ढक गए हैं। हरियाली धूल में छिपती जा रही है, जिससे पर्यावरण का संतुलन भी प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक ऐसी स्थिति बनी रहने से दमा, एलर्जी और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार सूखी ठंड में शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और प्रदूषण इसकी समस्या को और गंभीर बना देता है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डाक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने, गर्म पानी पीने, धूल-मिट्टी से बचाव करने और अनावश्यक बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है। शहरवासी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द बारिश होगी, जिससे धूल-मिट्टी बैठेगी, प्रदूषण का स्तर कुछ कम होगा और लोगों को बीमारियों से राहत मिलेगी। फिलहाल हर जुबान पर यही सवाल है कि बारिश कब होगी और प्रदूषण से कब निजात मिलेगी।
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