Edited By Vatika,Updated: 08 Jul, 2020 02:13 PM
जिले में चल रहे नैशनल चाइल्ड लेबर प्रोजैक्ट्स (एन.सी.एल.पी.) स्कूल के स्टाफ को 38 महीनों से सैलरी नहीं मिल सकी है। लंबे समय से संघर्ष कर रहे स्टाफ
अमृतसर(दलजीत): जिले में चल रहे नैशनल चाइल्ड लेबर प्रोजैक्ट्स (एन.सी.एल.पी.) स्कूल के स्टाफ को 38 महीनों से सैलरी नहीं मिल सकी है। लंबे समय से संघर्ष कर रहे स्टाफ के लोगों ने मंगलवार को डी.सी. ऑफिस कैंपस लेबर कमिश्नर ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान गर्मी के चलते एक महिला टीचर बेहोश हो गई, बड़ी मुश्किल से उसे होश में लाया गया। आरोप है कि इतना कुछ होने के बाद भी उक्त विभागों के अधिकारियों ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया।
प्रदर्शनकारियों की नुमाइंदगी करने वाले जसवंत सिंह ने बताया कि जिले में गरीब-मजदूर तबके के बच्चों को शिक्षित करने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजैक्ट के तहत 39 स्कूल चलाए जा रहे हैं। यहां पर टीचर, क्लर्क, दर्जा चार समेत कुल 200 लोगों का स्टाफ है। दुखांत यह है कि आज 38 महीने हो गए हैं, इनमें से किसी की भी सैलरी जारी नहीं हो सकी है। जसवंत का कहना है कि बार-बार धरने-प्रदर्शन करने के बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
उधर लॉकडाउन में उनके घरों की स्थिति बदतर हो गई है। उनका कहना है कि कुल 6 करोड़ की रकम बकाया है, लेकिन प्रशासन अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। विरोध जताने के लिए वह लोग कैंपस में आए और धरने पर बैठ गए। लेबर विभाग ऑफिस के लोगों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके बाद सभी प्रदर्शन कर रहे थे उसी दौरान वरिंदर कौर नामक महिला टीचर बेहोश हो गई। वरिंदर कौर विधवा है और घर का दारोमदार उस पर है। खास बात तो यह रही कि बेहोश होने के बाद भी ऑफिस से कोई अधिकारी बाहर नहीं निकला। हालांकि इस संदर्भ में लेबर कमिश्नर हरदीप सिंह घूम्मण का तर्क है कि वह नए आए हैं, अभी उनको पूरे मामले की जानकारी नहीं है।