कैप्टन-सिद्धू एपीसोड ने बचाई कैबिनेट मंत्रियों की डूबती नैया!

Edited By Vatika,Updated: 07 Jun, 2019 08:37 AM

sidhu captain dispute

लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र ने सभी मंत्रियों-विधायकों को घुड़की मारते हुए चेतावनी दी थी कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी पिछड़ेंगे उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ सकती है और हलका में हारने वाले विधायकों को न तो...

चंडीगढ़ः लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र ने सभी मंत्रियों-विधायकों को घुड़की मारते हुए चेतावनी दी थी कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी पिछड़ेंगे उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ सकती है और हलका में हारने वाले विधायकों को न तो चेयरमैनी मिलेगी और न ही अगले चुनाव में टिकट।
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परंतु चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के कद्दावर मंत्रियों में से मनप्रीत सिंह बादल, विजयइंद्र सिंगला, सुंदर शाम अरोड़ा, राणा गुरमीत सिंह सोढी, अरुणा चौधरी से संबंधित हलकों में कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान आपस में तकरार के कारण ही अमरेन्द्र ने 5 हलकों से हार का सारा ठीकरा नवजोत सिद्धू के सिर फोड़ दिया है। अब सिद्धू कैप्टन के निशाने पर हैं और शहरी हलकों में कांग्रेस की हार को उनसे संबंधित निकाय विभाग की असफलता से जोड़ा गया। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद अमरेन्द्र ने पहले तो स्पष्ट किया था कि उनकी चेतावनी केवल घुड़की नहीं थी, हारने वाले मंत्रियों के खिलाफ एक्शन अवश्य होगा।
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पंजाब में जिन 5 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी नहीं जीत सके, उन सीटों के अधीन कैप्टन के करीब आधा दर्जन मंत्री आते हैं परंतु अब मुख्यमंत्री ने अपने बयान से यू-टर्न लेते हुए हारने वाले कुछेक कैबिनेट मंत्रियों की छुट्टी करने की बजाय मात्र उनके पोर्टफोलियो बदल करके खानापूर्ति है। ऐसे में अमरेंद्र और सिद्धू का एसीपोड कैबिनेट मंत्रियों की डूबती नैया को पार लगाएगा। वहीं कुछ मंत्रियों के मुताबिक भाजी असी तो बच गए हैं।  कांग्रेस के पुष्ट सूत्रों की मानें तो मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी केवल सिद्धू को साइड लाइन करने की खातिर हुआ है ताकि किसी तरह उनसे महत्वपूर्ण निकाय विभाग को छीन लिया जाए। सिद्धू के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व कांग्रेस हाईकमान के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण उन पर सीधी कार्रवाई करना मुमकिन नहीं है।
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मंत्रिमंडल में बड़ा उलटफेर करने के लिए अमरेन्द्र को कांग्रेस हाईकमान से मंजूरी लेना होगी। जिस कारण मुख्यमंत्री के लिए हारने वाले अपने आधा दर्जन के करीब समर्थक कैबिनेट मंत्रियों को भी सिद्धू वाली कतार में खड़ा करना उनकी मजबूरी बन गया था। कांग्रेसी गलियारों का मानना है कि अमरेन्द्र का ऐसा कदम पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि सिद्धू के पर कतरने व विभागों में फेरबदल से पार्टी व जनता में कोई बेहतर संदेश नहीं जाएगा। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना है कि कैबिनेट मंत्री पूरे प्रदेश का होता है न कि केवल अपने संबंधित हलके का। अगर चेतावनी के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी मंत्री के संबंधित हलका से कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई है तो नकारात्मक प्रदर्शन करने वाले मंत्री को केवल विभाग बदलने की सजा भी क्यों मिले। उसके स्थान पर चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले किसी अन्य विधायक को मंत्री पद से नवाजा जाता। मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल न होने से कई विधायकों की आशाएं धरी की धरी गई है। 

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