पंजाब में स्मार्ट राशन कार्ड धारकों को बड़ा झटका, आखिरकार लिया गया ये फैसला

Edited By Vatika,Updated: 04 Jun, 2025 09:44 AM

rashan card holder

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नैशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट योजना 2013 अब (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) के तहत

लुधियाना: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नैशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट योजना 2013 अब (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) के तहत देशभर में गरीब और जरूरतमंद परिवारों से संबंधित राशन कार्डधारकों को मुहैया करवाई जा रहे फ्री गेहूं योजना को और अधिक पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए लाभपात्र परिवारों की ई-के.वाई.सी. करवाने के लिए निर्धारित की गई समय सीमा 31 मई को समाप्त हो गई है। ऐसे में पंजाब के अधिकतर राशन कार्ड धारकों द्वारा ई.के.वाई.सी. नहीं करवाने के कारण 28,14,267 मैंबरों को मिलने वाले फ्री अनाज पर तलवार लटक गई है।

यहां बताना अनिवार्य होगा कि सरकार द्वारा मौजूदा समय दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से जुड़े लाभ पात्र परिवारों को 1 अप्रैल से लेकर 30 जून तक के लिए 3 महीने की फ्री गेहूं का लाभ दिया जा रहा है। इसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 28 लाख से अधिक लोगों के आधार कार्ड और फिंगरप्रिंट ई-के.वाई.सी. योजना में रजिस्टर्ड ही नहीं हो पाए हैं या यूं कहें कि असल में उक्त 28 लाख से अधिक लोग योजना का कभी हिस्सेदार थे ही नहीं और डिपो होल्डर, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मचारी पिछले कई वर्षों से न केवल सरकार की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे थे बल्कि साजिश के तहत राशन कार्डों में बड़ा फर्जीवाड़ा कर लाखों परिवारों के हिस्से की गेहूं की कालाबाजारी करने का खेल खेलते आ रहे हैं।

विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में कुल 40,24,017 राशन कार्ड धारकों के 1,54,29,132 सदस्य जुड़े हुए हैं जिनमें से केवल 1,26,14,865 मैंबरों ने ही ई-के.वाई.सी. योजना का लाभ उठाया है जबकि 28,14,267 मैंबर रजिस्टर्ड ही नहीं हो पाने के कारण भविष्य में उन्हें फ्री गेहूं का लाभ नहीं मिल सकेगा। यहां बताना अनिवार्य होगा कि नैशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट योजना-2013 के तहत केंद्र सरकार द्वारा राशन कार्ड में दर्ज प्रत्येक मैंबर को प्रति महीना 5 किलो के हिसाब से 3 महीने के लिए 15 किलो गेहूं फ्री दी जाती है। मतलब अगर किसी राशन कार्ड में 6 मैंबर दर्ज है तो सरकार द्वारा उसे 90 किलो गेहूं का लाभ दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक राशन डिपो होल्डर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों की आपसी मिलीभगत के कारण राशन कार्डों बनाने में न केवल बाद फर्जीवाड़ा किया गया है बल्कि राशन कार्ड में भी गलत तरीके से मैंबर चढ़ाए गए हैं और उक्त फर्जी लोगों की गेहूं की बाजार में धड़ल्ले से कालाबाजारी कर डिपो होल्डरों एवं विभागीय कर्मचारियों अपनी तिजोरियां भरी जा रही हैं।

ऐसी कई शिकायतें मिलने के बाद सरकार द्वारा योजना के भागीदार राशन कार्डधारकों की ऑनलाइन प्रणाली द्वारा ई-के.वाई.सी. करवाने का काम शुरू किया गया है और लाख कोशिशें के बावजूद भी पंजाब में केवल 82 फीसदी परिवारों की ई-के.वाई.सी. का काम ही मुकम्मल हो पाया है जबकि 18 फीसदी परिवारों की कोई खैर खबर तक नहीं मिली है सीधे लफ्जों में कहा जाए तो 18 फीसदी परिवारों की रजिस्ट्रेशन का काम अभी तक मुकम्मल नहीं हो पाया है। डिपो होल्डर एसोसिएशन द्वारा दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से जुड़े अधिकतर राशन कार्ड धारक प्रवासी है जोकि अपने पैतृक गांव यू.पी., बिहार में अन्य राज्य को वापस लौट चुके हैं जिसके कारण उनकी ई-के.वाई.सी. का काम मझधार में लटका हुआ है जबकि माना यह जा रहा है कि डिपो होल्डरों, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग कर्मचारियों द्वारा अपनी दुकानदारी चलाने के लिए वर्षों पहले मर चुके अधिकतर लोगों और फर्जी मैंबरों के नाम राशन कार्डों में दर्ज कर रखे हैं और गेहूं की कालाबाजारी के इस चक्कर में प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। असल में उक्त जुंडली की आपसी मिलीभगत के कारण ही सरकार द्वारा राशन कार्ड धारकों की बार-बार री-वैरीफिकेशन करवाने के बाद भी लाभपात्र परिवारों की असल संख्या का पता नहीं चल पा रहा है।

 

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