पंजाब को लेकर बड़ी खबर, भाजपा हाईकमान करने जा रहा ये काम

Edited By Vatika,Updated: 06 Jun, 2024 12:10 PM

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उम्मीद के मुताबिक परिणाम देने में असफल रहे इंपोर्ट किए गए नेता

जालंधर(अनिल पाहवा) : देश में लोकसभा चुनाव का सिलसिला शुरू होने से पहले कई राजनीतिक दलों में दल बदली का क्रम खूब चला। खास कर भाजपा ने पंजाब सहित कई राज्यों में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा अन्य पार्टियों से नेताओं को इंपोर्ट किया। इंपोर्ट किए जाने के बाद पार्टी ने उन्हें या तो टिकट दिया या उन्हें अहम जिम्मेदारियों से नवाजा। इस बीच कई ऐसे नेता थे, जो हाई लेवल सिक्योरिटी व्यवस्था लेने में भी सफल रहे। लेकिन पंजाब में भाजपा को केवल 9 प्रतिशत के करीब वोट प्रतिशत की सफलता मिली, जोकि इतने तामझाम करने के बाद कुछ भी नहीं है।

काम नहीं आए इंपोर्ट किए गए नेता
पंजाब में भाजपा की जो दुर्गति हुई है, उसके लिए पार्टी के पुराने नेताओं या वर्करों से कहीं ज्यादा वे लोग जिम्मेदार हैं, जिन्होंने पिछले कुछ समय में अपनी मनमर्जी के साथ काम किया। अहम पद होने के बाद पुराने वर्करों को न तो वैल्यू दी, न ही उन्हें कहीं अहमियत दी, जिसके कारण भाजपा को पंजाब में निराशा का सामना करना पड़ा। बाहर से जो नेता इंपोर्ट किए गए थे, वे भी केवल अपनी डफली अपना राग ही बजाते रहे। पार्टी के उत्थान के लिए किसी नेता ने कोई काम नहीं किया। केंद्र की तरफ से दी गई सुरक्षा व्यवस्था को ही 'इंज्वाय' करते रहे।

पंजाब को रिव्यू करने की तैयारी में हाईकमान
सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आ रही है कि पंजाब में केंद्र की तरफ से बड़े स्तर पर बदलाव किए जाने की योजना बनाई गई है, जिसके तहत राज्य में अहम पदों पर बैठे कई नेताओं को जहां जिम्मेदारियां से हाथ धोना पड़ सकता है, वहीं कुछ नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था भी वापस ली जा सकती है क्योंकि जिस कारण से इन नेताओं को जिम्मेदारियां दी गई थीं, ये लोग उसमें कामयाब नहीं हुए। जानकार तो यह भी बता रहे हैं कि पार्टी को पहले  ही आभास हो गया था कि पंजाब में हालत बेहतर नहीं है, इसलिए पार्टी पंजाब को लेकर पहले ही योजना बना चुकी है।

अपना वर्कर इग्नोर करने का खामियाजा भुगता पार्टी ने
एक्सपैरीमैंट के लिए पार्टी ने पंजाब में अपनी पुरानी लीडरशिप तथा वर्कर को इग्नोर करके कांग्रेस और न जाने किन-किन पार्टियों से नेताओं को इंपोर्ट कर लिया था, लेकिन जो स्थिति आज पार्टी के सामने है, उसमें कहीं भी दो राय नहीं कि भाजपा का यह एक्सपैरीमैंट फ्लाप साबित हुआ है। इस चक्कर में पार्टी ने अपने पुराने वर्कर को भी दरकिनार कर दिया, जिसके कारण पुराना वर्कर घर बैठ गया और उसने जिस तरह की निष्ठा से पहले काम करता था, वह इन चुनावों में करता नहीं दिखा। 
 

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