Edited By PTI News Agency,Updated: 25 May, 2022 11:01 PM
अमृतसर, 25 मई (भाषा) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने बुधवार को कहा कि उसने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ स्वर्ण मंदिर के अंदर ''गुरबानी कीर्तन'' को फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाए हैं।
अमृतसर, 25 मई (भाषा) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने बुधवार को कहा कि उसने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ स्वर्ण मंदिर के अंदर 'गुरबानी कीर्तन' को फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाए हैं।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से हारमोनियम का इस्तेमाल धीरे धीरे बंद करने और तीन साल के भीतर कीर्तन के लिए तार वाले प्राचीन पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग करने के लिए कहा है। अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है।
तार वाले वाद्ययंत्रों को ‘तांती साज’ के रूप में जाना जाता है और इसमें 'रबाब', 'सारंदा', 'दिलरुबा', 'तानपुरा', 'सितार' और 'तौस' शामिल हैं।
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने धर्म प्रचार समिति, एसजीपीसी के तहत चलने वाले 'गुरमत संगीत विद्यालयों' और कॉलेजों को 'कीर्तन' प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए तार वाले वाद्ययंत्रों के साथ अभ्यास अनिवार्य करने के लिए कहा है।
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