शराब कांड: नकली शराब की फैक्टरियों के मामले में ED ने मनी लांड्रिंग के तहत किया केस दर्ज

Edited By Vatika,Updated: 04 Sep, 2020 11:08 AM

poisonous liquor in punjab rises

पंजाब में नकली शराब माफिया द्वारा किए गए घोटाले की जांच में उस समय नया मोड़ आ गया जब इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) द्वारा मनी  लांड्रिंग  के तहत केस दर्ज कर लिया गया।

जालंधर (मृदुल): पंजाब में नकली शराब माफिया द्वारा किए गए घोटाले की जांच में उस समय नया मोड़ आ गया जब इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) द्वारा मनी  लांड्रिंग  के तहत केस दर्ज कर लिया गया। हालांकि ई.डी. के उच्च पदस्थ अधिकारी इस बारे कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों द्वारा इस संबंधी पुष्टि कर दी गई है। ई.डी. के एक बड़े अधिकारी का दावा है कि पंजाब सरकार के एक्साइज विभाग व पंजाब पुलिस द्वारा अब तक रिकॉर्ड सांझा न करने के चलते ई.डी. को केस दर्ज करना पड़ा क्योंकि पंजाब पुलिस द्वारा पिछले 3 सालों 2018, 2019, 2020 में पंजाब के अलग-अलग जिलों में जितनी भी नकली शराब की फैक्टरियों को पकडऩे में जो केस दर्ज किए गए हैं, अब ई.डी. द्वारा उन सभी केसों को मर्ज करके मनी लांङ्क्षड्रग के सैक्शन-3 के तहत केस दर्ज किया गया है।

बहरहाल, इन 3 सालों के अंतराल में पूरे पंजाब में नकली शराब की फैक्टरियां बनाने संबंधी कुल 13 एफ.आई.आर. रजिस्टर हुई हैं। हालांकि पुलिस द्वारा इनकी जांच लटकाने की वजह से नकली व जहरीली शराब पीने से 130 लोगों को मौत हो गई थी, जिसको लेकर ई.डी. द्वारा कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ई.डी. द्वारा अब एफ.आई.आर. रजिस्टर करने के बाद एस.एस.पी. पटियाला, एस.एस.पी. तरनतारन, एस.एस.पी. लुधियाना रूरल और एस.एस.पी. खन्ना को बकायदा औपचारिक पत्र भी भेज दिया गया है और इन केसों संबंधी रिकॉर्ड मांगा है ताकि जांच में किसी भी तरीके की अड़चन न आने पाए। हालांकि ई.डी. के अधिकारियों की मानें तो पहले तो पुलिस द्वारा उनके साथ कोई भी जानकारी शेयर नहीं की गई जबकि ई.डी. के अधिकारी खुद घनौर व अन्य जिलों में रिकॉर्ड मांगने गए थे इसलिए केस दर्ज किया गया ताकि सभी अधिकारी रिकॉर्ड देने के लिए बाध्य हो जाएं। ई.डी. के एक अधिकारी ने बताया कि अब इस केस में जितनी भी नकली फैक्टरियां पकड़ी गई हैं, उन्हें किन-किन व्यापारियों ने कैमिकल सप्लाई किया, उसकी भी जांच होगी।

बड़ा सवाल-जिन इलाकों में फैक्टरियां पकड़ी गईं, वे सील क्यों नहीं कराईं?
पुलिस द्वारा जिन-जिन जिलों में नकली शराब बनाने की फैक्टरियां पकड़ी गई, वहां से बाद में ये फैक्टरियां खुर्द-बुर्द कर दी गई, जबकि पुलिस को चाहिए था कि उक्त फैक्टरियों को सील किया जाता। अब बड़ा सवाल यह है कि पुलिस ने उन जगहों को सील क्यों नहीं किया और जांच को लटकाया क्यों? ई.डी. अब इस एंगल पर भी जांच करने के लिए कई बड़े पुलिस अधिकारियों को भी सम्मन कर सकती है। घनौर इलाके में जो फैक्टरी पकड़ी गई, वहां जैनरेटर से शराब बनाने की मशीनें चलाई जा रही थीं क्योंकि वहां बिजली का कनैक्शन नहीं दिया गया था, ताकि प्रशासन से बचा जा सके। बाद में उस फैक्टरी को खाली करवाकर सील भी नहीं किया गया।

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