Edited By Radhika Salwan,Updated: 30 Jun, 2024 03:02 PM
एफ.आई.आर के लिए अब पुलिस स्टेशन जाकर बहस करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
नवांशहर - एफ.आई.आर के लिए अब पुलिस स्टेशन जाकर बहस करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप व्हाट्सएप, टेलीग्राम या ईमेल जैसे टूल से भी एफ.आई.आर रजिस्टर कर सकते हैं। इसी प्रकार थाने में यह कहकर भी कोई बहाना नहीं बना सकेगा कि संबंधित थाने में जाकर एफ. आई. आर दर्ज करवाओ। नये कानून में शून्य एफ. आई. आर का प्रावधान जोड़ कर क्षेत्र अधिकारी की चिंता बनी किसी भी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवा सकेंगे।
1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आपीसी) की जगह भारतीय न्यायपालिका संहिता (बीएनएस), सजा प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) ले लेंगे। अब एफ.आई.आर को लेकर कई स्पष्ट प्रावधान किये गये हैं और कुछ पुराने प्रावधानों को भी मजबूत किया गया है। देश में कहीं भी अपराध के लिए एफ.आई.आर दर्ज की जा सकेगी। एफ. आई. आर संबंधित पुलिस स्टेशन में अपने आप स्थानांतरित हो जाएगी और वहां एफ.आई.आर को नंबर मिल जाएगा। जघन्य अपराधों में थाने में मौखिक अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दी गई सूचना के आधार पर एफ.आई.आर पंजीकृत किया जाएगा। व्हाट्सएप, टेलीग्राम सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफ. आई. आर दर्ज की जा सकती है, जिस को लेकर ऑनलाइन दर्ज करवाने का बाद तीन दिन के भीतर शिकायतकर्ता को संबंधित पुलिस स्टेशन में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करना होगा।
थाने में एफ.आई.आर नहीं होने पर पहले की तरह एसएसपी ऑफिस में भी एफ.आई.आर दर्ज की जा सकेगी। पुलिस के एफ.आई.आर दर्ज नहीं करने और कोर्ट के माध्यम से एफ.आई.आर का प्रावधान पहले की तरह ही रखा गया है। पीड़ित को एफ.आई.आर की कॉपी पुलिस स्टेशन से निःशुल्क उपलब्ध होगी। पुलिस जांच के 90 दिन के अंदर पीड़ित को कार्रवाई के बारे में जानकारी देगी।
बच्चों द्वारा अपराध करने पर तीन साल तक की सजा का कानून होने के कारण आरोपियों ने बड़ी घटनाओं में बच्चों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। अब बच्चों से अपराध कराने वालों को सीधे तौर पर उस मामले में आरोपी माना जाएगा और एफ.आई.आर दर्ज की जाएगी।