Edited By Vatika,Updated: 01 Dec, 2018 03:50 PM
जिस परिवार में 10वीं कक्षा से अधिक कोई नहीं पढ़ा था, उस परिवार का सदस्य न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होकर न्यायाधीश (जज) बन गया है। आज घोषित पी.सी.एस. ज्यूडिशियल परिणामों में अबोहर की आनंद नगरी में तंदूर पर रोटियां पका कर अपने बच्चो का...
अबोहर: जिस परिवार में 10वीं कक्षा से अधिक कोई नहीं पढ़ा था, उस परिवार का सदस्य न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होकर न्यायाधीश (जज) बन गया है। आज घोषित पी.सी.एस. ज्यूडिशियल परिणामों में अबोहर की आनंद नगरी में तंदूर पर रोटियां पका कर अपने बच्चो का पालन-पोषण करने वाले बलवीर सिंह व आशा रानी को रात 8 बजे जैसे ही अपने पुत्र का चयन होने का पता चला तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।
घर पर पहुंचे मेहमानों की बधाइयां स्वीकार करते हुए एक ओर जहां मां-बाप की आंखों से खुशी के मारे आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, वहीं चयनित न्यायाधीश अजय अपनी उपलब्धिों का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए कह रहे थे कि इन्होंने ताउम्र तंदूर पर रोटियां बनाकर उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। अजय ने बताया कि गरीबी के कारण 9वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर के हालात को देखते हुए कचहरी में वरिष्ठ वकील उदेश कक्कड़ के दफ्तर में बतौर क्लर्क नौकरी की और उसके बाद 10वीं व 12वीं की पढ़ाई प्राइवेट तौर पर पूरी करने के बाद अबोहर के खालसा कालेज से बी.ए. की डिग्री हासिल की।
इसके बाद पंजाबी विश्वविद्यालय के अन्तर्गत बठिंडा सेंटर से लॉ की डिग्री प्राप्त की। अजय के अनुसार, दूसरे ही प्रयास में पी.सी.एस. ज्यूडिशियल परीक्षा उत्तीर्ण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अपनी खुशी व्यक्त करते हुए अजय की मां ने कहा कि मेरे बेटे ने अपने कुल का नाम रोशन किया है। भविष्य में अपनी कलम से न्याय करने का संकल्प करने के साथ हर मेहनतकश को हिम्मत न हारने का संदेश देते हुए अजय कुमार ने कहा कि मेहनत करने वालों के सफलता कदम जरूर चूमती है।