Edited By Mohit,Updated: 27 Oct, 2018 07:33 PM
पंजाब में धान के अवशेषों (पराली) को जलाने पर रोक लगाने के लिए चलाई जा रही मुहिम को मजबूती मिली है जिसके फलस्वरूप राज्य में किसान अवशेषों को जलाने के बजाय उसे मिट्टी में जोत रहे हैं ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा मित्र कीटों को नुकसान न पहुंचे।
चंडीगढ़: पंजाब में धान के अवशेषों (पराली) को जलाने पर रोक लगाने के लिए चलाई जा रही मुहिम को मजबूती मिली है जिसके फलस्वरूप राज्य में किसान अवशेषों को जलाने के बजाय उसे मिट्टी में जोत रहे हैं ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा मित्र कीटों को नुकसान न पहुंचे।
यह जानकारी आज यहां कृषि सचिव सह पराली जलाने के विरूद्ध छेड़ी गई मुहिम के प्रादेशिक नोडल अफ़सर के.एस. पन्नू ने दी। उन्होंने बताया कि राज्य रिमोट सेंसिंग सैंटर (पी.आर.एस.सी) से प्राप्त आंकड़ों से अनुसार पराली जलाने की घटनाओं में बड़े स्तर पर कमी आई है जिसके कारण वायु के मानक में सुधार हुआ है। इस मुहिम के कारण 27 सितम्बर से 22 अक्तूबर तक पराली जलाने के 3228 मामले सामने आए हैं जबकि पिछले वर्ष 8420 और वर्ष 2016 में 13358 मामले सामने आए थे।
श्री पन्नू ने बताया कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में राज्य तथा केन्द्र सरकार की ओर से उठाये गये सार्थक प्रयासों का यह नतीजा है। किसान अब यह समझने लगे हैं कि धान के अवशेषों को जोतने से मिट्टी को खाद मिलती है तथा भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट नहीं होती।
उनके अनुसार पराली को आग न लगाने की घटनाओं में आई कमी के कारण पंजाब के वायु गुणवत्ता इंडैक्स (ए.क्यु.आई) में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सुधार हुआ है। पिछले वर्ष के 326 ए.क्यू.आई के मुकाबले इस वर्ष यह मात्रा 111 है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने पराली को जलाये जाने के बिना इसके प्रबंधन के लिए एक कार्यक्रम बनाया था। पराली न जलाने के लिए सब्सिडी पर 24315 खेती मशीनों /साजो -समान, किसानों, सहकारी सोसाईटियों और कस्टम हायर सैंटरों को सप्लाई किया जा रहा है। खेतों में ही पराली को वैज्ञानिक ढंग से निपटाए जाने के लिए किसानों को 21000 मशीनें /साजो-समान मुहैया करवाया गया है।