Edited By Vatika,Updated: 09 Aug, 2025 04:35 PM

देर रात तक जश्न की ललक ऐसे ही रही तो जल्द ही शहर में हो सकता है हाई प्रोफाइल हंगामा 3.0
जालंधर(अनिल पाहवा): जालंधर में हाल ही में नोटोरियस रेस्तरां व बार में हुआ हाई प्रोफाइल हंगामा इन दिनों हर शहर वासी की जुबां पर है। इस मामले में बेशक दो बड़े घरानों के बीच वाद विवाद हुआ था मामला पुलिस के पास है लेकिन इस घटना ने शहर में उन लोगों को कुछ हद तक राहत दी है जो रोजाना इन बड़े रेस्तरां में होने वाली शराब पार्टियों से तंग आ चुके थे। नई जनरेशन इन पार्टियों की बेहद शौकीन है लेकिन उनके परिवार वाले कुछ हद तक इन पार्टियों से उकता चुके हैं।
शहर में हुए इस हाई प्रोफाइल मामले के बाद से एक बड़ा सवाल भी खड़ा हो रहा है कि शहर में खुले नोटोरियस जैसे बार आखिर युवा वर्ग को किस तरफ ले कर जा रहे हैं। पार्टियों के नाम पर शराब परोसी जाती है और सुबह 3-4 बजे तक जश्न मनाया जाता है जिसके पीछे शायद एक बड़ा कारण है कानून व्यवस्था से ऊपर समझने की ललक। जालंधर के नोटोरियस में जो भी हुआ वह भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। जो सी.सी.टी.वी. सामने आ रहे हैं उसमें साफ देखा जा सकता है कि रात को 3-4 बजे किस तरह से जाम से जाम टकराए जा रहे हैं। दो पक्षों में विवाद के दौरान भी अधिकतर लोगों के हाथों में शराब के जाम पकड़े हुए हैं। घटना क्रम में भी एक दूसरे पर हमला करते समय शराब की बोतल का ही इस्तेमाल किया गया। जो यह दर्शाता है कि रात भर शराब में डूबे युवा किस हद तक चले जाते हैं।
नोटोरियस हंगामे का होटल रैडिसन से क्या है कनेक्शन
नोटोरियस में हुए हंगामे जैसे कई मामले पहले भी हो चुके हैं लेकिन इस मामले में और कुछ साल पहले होटल रैडीसन में हुए हंगामे में एक बात कॉमन है। दरअसल कुछ साल पहले होटल रैडिसन में एक पार्टी के दौरान गोली चली थी और वह गोली शैली नामक शख्स को लगी थी। अब इसमें कॉमन चीज़ यह है कि वह गोली जिस शैली नामक शख्स को लगी थी, वह टैबी भाटिया के पिता हैं जो नोटोरियस में हुई मारपीट में शामिल आरोपियों में से एक है। इससे भी बड़ा क्लाईमैक्स यह है कि वह गोली कथित तौर पर जिस शख्स की रिवाल्वर से चली थी, वह नोटोरियस के मालिक का पिता था। कुल मिला कर अभिनेता वही हैं लेकिन लोकेशन और फिल्म बदल गई है। पहले फिल्म थी हाई प्रोफाइल हंगामा तो अब फिल्म है हाई प्रोफाइल हंगामा 2.0।
किसने दी नियम तोड़ने की अनुमति
जिस तरह से नोटोरियस में हंगामा हुआ, उस तरह की घटनाएं आए दिन शहर में होती रहती हैं। सत्वा जैसे रेस्तरां में भी कई घटनाएं चर्चा में रह चुकी हैं। इसी रेस्तरां में डॉक्टरों का विवाद भी खूब चर्चा का विषय बना रहा है। बेशक बाद में पार्टियों में समझौता होने की खबरें आ रही हैं लेकिन विवाद तो विवाद है। नोटोरियस से लेकर सत्वा तक जैसे बार में जो घटनाएं हुईं उसके लिए पुलिस प्रशासन के साथ साथ रेस्तरां के मालिक भी पूरे जिम्मेदार हैं जो हर बार अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। बेशक प्रशासन की तरफ से रात 12 बजे तक बार बंद करने के निर्देश हैं लेकिन उसके बाद भी सुबह 4 बजे तक शराब परोसने की आखिर अनुमति इन्हें किसने दी है।
बदनामी के डर से खामोश रह जाते कई लोग
जालंधर के नोटोरियस बार में जिस तरह की घटना हुई, उस तरह की कई घटनाएं पहले भी होती हैं लेकिन उनमें से 10 प्रतिशत भी रिपोर्ट नहीं होतीं। जिसके पीछे बड़ा कारण है कि कुछ लोग बदनामी के डर से चुप हो जाते हैं तो कुछ शराफत के चक्कर में खामोश रह जाते हैं। कुछ देर पहले एक इसी तरह के बार में सरकारी कर्मचारी का विवाद हो गया लेकिन मामले को इसलिए दबा दिया गया कि कहीं नौकरी से ही ना जाए। जबकि कई मामलों में तो शराब व जश्न का मजा लेने गए लोग नशे में महिलाओं पर टिप्पणी कर डालते हैं लेकिन महिला के पति या साथ गई परिवार के सदस्य बदनामी के डर से खामोश रह जाते हैं।
पुलिस आयुक्त धनप्रीत कौर की भूमिका काबिल-ए-तारीफ
जिला पुलिस की तरफ से नोटोरियस बार में हुए हंगामे के मामले में बरती गई सख्ती इस बार काबिल-ए-तारीफ रही। जिला पुलिस आयुक्त धनप्रीत कौर ने शायद उन मां-बाप की भावना को समझा जिनके बच्चे कहने से बाहर हो कर देर रात तक शराब पार्टियों का हिस्सा बनते हैं। प्रशासन ने बार के लिए रात 12 बजे तक का समय रखा है लेकिन नोटोरियस व सत्वा जैसे ना जाने कितने बार हैं जहां पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सुबह 3-4 बजे तक शराब सर्व की जाती है। जिला पुलिस आयुक्त धनप्रीत कौर से पहले किसी आयुक्त ने इस तरह की सख्ती नहीं दिखाई। शायद यही कारण था कि इन लोगों को शह मिली हुई थी लेकिन महिला पुलिस अधिकारी की तरफ से लिया जा रहा एक्शन आम लोगों में चर्चा का विषय हैं।