Edited By Urmila,Updated: 06 Mar, 2023 10:48 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से 6-7 साल पहले देश के 100 शहरों को स्मार्ट बनाने हेतु मिशन शुरू किया था।
जालंधर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से 6-7 साल पहले देश के 100 शहरों को स्मार्ट बनाने हेतु मिशन शुरू किया था जिसमें जालंधर का नाम भी शामिल हुआ था। तब शहर निवासियों को लगा था कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत उन्हें ऐसी सुविधाएं मिलेंगी जो न केवल विश्व स्तरीय होंगी बल्कि इस मिशन से शहर की नुहार ही बदल जाएगी परंतु स्मार्ट सिटी के ज्यादातर काम खत्म होने के बाद लोगों को लग रहा है कि शहर जरा-सा भी स्मार्ट नहीं हुआ और इस मिशन हेतु आए ज्यादातर पैसे भ्रष्टाचार की भेंट ही चढ़ गए।
पिछले 5 साल पंजाब और जालंधर निगम की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस सरकार ने पहले 2 साल तो स्मार्ट सिटी मिशन की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया परंतु पिछले 3 साल से स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्टों में एकाएक तेजी आई और करीब 370 करोड़ रुपए के काम करवाए गए। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर शहर में कुल 64 प्रोजैक्ट चले जिनमें से 30 तो पूरे हो चुके हैं परंतु 34 प्रोजैक्ट अभी भी लटक रहे हैं । इन लटके कामों ने शहर की हालत बिगाड़ कर रखी हुई है और अब पंजाब सरकार तथा स्मार्ट सिटी के नए सी.ई.ओ. द्वारा इन प्रोजैक्टों को पूरा करवाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है ।
कांग्रेस के राज दौरान जिस प्रकार 3 सालों में स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजैक्टों में गड़बड़ी हुई, सैकड़ों समाचार छपे, उसके आधार पर पंजाब सरकार ने थर्ड पार्टी एजैंसी को नियुक्त करके कई कामों की जांच करवाई, जिसने गड़बड़ी संबंधी कई रिपोर्टें भी दीं पर फिर भी न राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ने उन गड़बड़ियों को गंभीरता से लिया। इसी कारण आरोप लग रहे हैं कि आने वाले समय में भी कुछ नहीं होगा क्योंकि घोटाले करने वालों की ऊपर तक सैटिंग है।
पिछले समय दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों और अन्य नेताओं ने जिन घोटालों की जांच की घोषणा की, उस मामले में अभी कुछ नहीं हुआ। केंद्र सरकार के मंत्री हरदीप पुरी पास दर्जनों शिकायतें उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने पहुंचाईं परंतु उन्होंने भी कुछ नहीं किया। भाजपा मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, साध्वी निरंजन ज्योति ने भी जालंधर आकर स्मार्ट सिटी के घोटालों की जांच करवाने की बात कही पर वह भी दिल्ली जाकर सब भूल गए। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए नगर निगम को अरबों रुपए दिए थे।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी एल.ई.डी प्रोजैक्ट में हुई
स्मार्ट सिटी जालंधर में रहे पुराने अधिकारियों ने अपने कार्यकाल के दौरान खूब मनमर्जियां की जिसका सबसे बड़ा उदाहरण एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट है, जिसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी हुई। टैंडर की शर्त के मुताबिक कंपनी ने सिर्फ पुरानी लाइटों के स्थान पर ही नई लाइटें लगानी थी। अफसरों के मुताबिक शहर में से 44283 पुरानी लाइटें उतारी गई परंतु उनके स्थान पर 72092 नई लाइटें लगा दी गई। इस प्रकार टैंडर की शर्त के उल्ट जाकर 27809 लाइटें ज्यादा लगा दी गई जो 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
कंपनी ने 11 गांवों में 2092 लाइटें लगानी थीं जिनमें 35 वाट की 2036 और 90 वाट की सिर्फ 56 लाइटें लगनी थीं। हालात यह हैं कि कंपनी ने 90 वाट की तो एक भी लाइट नहीं लगाई बल्कि 18 वाट की 1683, 35 वाट की 483, 70 वाट की 55 एल.ई.डी. लाइटें लगा दीं । कंपनी को अदायगी करने के काम में भी करीब 5 करोड़ रुपए की गड़बड़ी कर दी गई। पंजाब सरकार द्वारा भेजी गई थर्ड पार्टी एजेंसी ने इस प्रोजैक्ट की असंख्य गड़बड़ियों का पता लगा लिया था परंतु तब जालंधर स्मार्ट सिटी में बैठे अधिकारी इतने निडर थे कि उन्होंने थर्ड पार्टी एजैंसी की रिपोर्ट को भी फाइलों में ही दफन कर दिया और उसके आधार पर भी कंपनी पर कार्रवाई नहीं की।
हर प्रोजैक्ट में है कोई न कोई गड़बड़ी
जालंधर स्मार्ट सिटी द्वारा पिछले तीन-चार सालों दौरान जितने भी प्रोजेक्ट शुरू और खत्म किए गए, उनमें से शायद एक भी प्रोजैक्ट ऐसा नहीं जो बिल्कुल साफ सुथरे तरीके से चला हो। स्मार्ट रोड्ज हो, पार्क सुधार, चौक सुंदरीकरण से लेकर अन्य तरह के कामों में भी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लगते रहे। अब विजिलैंस इन प्रोजैक्टों बारे क्या निष्कर्ष निकालती है यह देखने वाली बात होगी परंतु जांच में जितना समय बीतता जा रहा है, उससे स्मार्ट सिटी के ज्यादातर घोटाले ठंडे पड़ते दिख रहे हैं। लग रहा है कि कई महीने बीत जाने के बाद भी विजिलैंस सिर्फ माथापच्ची ही कर रही है।
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