Ludhiana: सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी ने बढ़ाई चिंता, सिस्टम सवालों के घेरे में

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 15 Dec, 2025 11:37 PM

ludhiana staff shortage in government hospitals raises concerns

सरकारी अस्पतालों का कॉरपोरेटर अस्पतालों से मुकाबला अभी सपना बना रहेगा, ऐसा डॉक्टरों और स्टाफ की भर्ती को देखते हुए सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर का भी अभाव है।

लुधियाना  (सहगल): सरकारी अस्पतालों का कॉरपोरेटर अस्पतालों से मुकाबला अभी सपना बना रहेगा, ऐसा डॉक्टरों और स्टाफ की भर्ती को देखते हुए सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर का भी अभाव है। जिले में डॉक्टर के 223 पद खाली पड़े हैं। इनमें 68 स्पेशलिस्ट डॉ शामिल हैं, जिनमें मेडिसिन, गायनेकोलॉजी, चर्म रोग विशेषज्ञ, सर्जरी, माइक्रोबायोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन, शिशु रोग विशेषज्ञ आदि शामिल है स्वास्थ्य विभाग में उपलब्ध विवरण का आकलन किया जाए तो पूरे जिले में डॉक्टर और विशेषज्ञों के 409 पद हैं। इनमें 186 पर डॉक्टर और कुछ स्पेशलिस्ट तैनात हैं जबकि 223 पद खाली पड़े हैं। जिला अस्पताल में डॉक्टर के 15 पद उनकी राह देख रहे हैं जबकि खन्ना में 11 समराला में 18 जगराओं में 18 रायकोट में 17 डाक्टरों व स्पेशलिस्टों के पद खाली पडे हैं। 

सूत्रों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों के अलावा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कम्युनिटी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर तथा सब डिविजनल अस्पतालों में डॉक्टरों तथा स्टाफ का अकाल पड़ा हुआ है। एआरटी सेंटर, न्यू बर्न यूनिट, स्कूल हेल्थ क्लिनिक के अलावा विभिन्न इलाकों में स्थित हेल्थ सेंटरों जिनमे कुंदन पुरी, शिवपुरी, छावनी मोहल्ला, सलेम टाबरी, मॉडल टाउन, चेत सिंह नगर, किदवई नगर, गुरु नानकपुरा, हैब्र्बोवाल खुर्द, सुनेत, भगवान नगर, सराभा नगर, अब्दुल्लापुर बस्ती, ढोलेवाल, दशमेश नगर, ढंढारी, जनता नगर तथा ताजपुर रोड पर स्थित हेल्थ सेंटर में डॉक्टर मरीज को अटेंड करने के लिए दिखाई नहीं देते कम्युनिटी हेल्थ सेंटर सिदवा बेट, मालोद, डेहलो, सहनेवाल, माछीवाड़ा, लाढोवाल, मानुपुर में से अधिकतर हेल्थ सेंट्रो में लोग नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य लोगों को डॉक्टर समझ कर दवाइयां ले रहे हैं जिसे कई लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में नीम हकीमी का दर्जा भी दे रहे हैं। यही नहीं ब्रस्टल जेल में एमबीबीएस डॉक्टर के दो पद है, दोनों खाली पड़े हैं। इसके अलावा वूमेन जेल में एमबीबीएस डॉक्टर का एक पद है वह भी खाली पड़ा है। 

लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों का कॉर्पोरेट व निजी अस्पतालों से मुकाबला करने के दावे करने की बात छोड़कर सरकार को अपनी स्वास्थ्य सेवाएं धीरे-धीरे बेहतर करनी चाहिए। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री को उतने दावे करने चाहिए जिन्हें वह समय रहते पूरा कर सके।

सिविल अस्पताल में नर्सों व फार्मेसी अफसरों की कमी

अस्पताल में डॉक्टर के अलावा नर्सिंग स्टाफ के भी काफी कमी महसूस की जा रही है। वर्तमान में अस्पताल में 49 नर्सों के पद सैंक्शन हैं। इनमें 40 पर नर्सिंग स्टाफ तैनात है, जबकि 9 पद खाली पड़े हैं। जिला अस्पताल में 1949 नर्सों की तैनाती काफी कम बताई जाती है। इसके अलावा अस्पताल में मेट्रन का पद काफी समय से खाली पड़ा है। जिला अस्पताल होने के बावजूद अस्पताल में कोई चीफ फार्मेसी अफसर नहीं हैं। इसके अलावा सीनियर फार्मेसी अफसर का पद भी खाली पड़ा है। सिर्फ तीन फार्मेसी अफसर ही सारा कामकाज देख रहे हैं । लोगों का कहना है कि यह आलम काफी समय से बरकरार है और यह ऐसा कितने दिनों तक आगे बना रहेगा, यह देखने की बात है सरकार के दावों और हकीकत में काफी बड़ा अंतर साफ दिखाई दे रहा है।

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