Navratri 2024 : नवरात्रि के छठे दिन जानें मां कात्यायनी की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 08 Oct, 2024 12:18 AM

know the method of worship of maa katyayani

देशभर में नवरात्रों का आज छठा दिन है और इस दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का 6वां दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है। माता इस रूप में भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान देती है।

पंजाब डैस्क : देशभर में नवरात्रों का आज छठा दिन है और इस दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का 6वां दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है। माता इस रूप में भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान देती है। माना जाता है कि देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अचूक मानी जाती है। इनके आशीर्वाद से भक्त को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा।

मां कात्यायनी की पूजा विधि 

1 सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. 
2 इसके बाद कलश की पूजा करने के बाद हाथ में पुष्प लेकर मां दुर्गा और मां कात्यायनी की ध्यान कर पुष्प मां के चरणों में अर्पित करें।
3 इसके बाद माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प और सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
4.  उसके बाद मां कात्यायनी को उनका प्रिय भोग शहद, मिठाई अर्पित करें।
5 मां को जल अर्पित कर दुर्गा चलिसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
6. मां कात्यायनी की पूजा में देवी को शहद या फिर शहद से बने हलवे का भोग लगाएं। धार्मिक मान्यता है इससे सौंदर्य में निखार आता है. वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और साथ ही धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है.।

मां कात्यायनी के मंत्र जाप 
पहला मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,

नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

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