Vigilance के रडार पर जालंधर के पूर्व पार्षद! नगर निगम कर्मियों पर भी गिर सकती है गाज

Edited By Radhika Salwan,Updated: 08 Aug, 2024 02:49 PM

jalandhar s former councillor on vigilance s radar

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जालंधर नगर निगम को अब तक करोड़ों रुपए की ग्रांट मिल चुकी है और यह योजना निगम में पिछले 10 सालों से चल रही है, जिसका लाभ हजारों परिवारों तक पहुंचाया जा चुका है।

जालंधर- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जालंधर नगर निगम को अब तक करोड़ों रुपए की ग्रांट मिल चुकी है और यह योजना निगम में पिछले 10 सालों से चल रही है, जिसका लाभ हजारों परिवारों तक पहुंचाया जा चुका है, लेकिन फिर इस योजना में एक बड़ा घोटाला हो गया, जिसके तहत अनुदान राशि ऐसे परिवार को जारी कर दी गई, जो इस अनुदान के लिए पात्र नहीं थे।

अब आरोप है कि ऐसे परिवारों को अनुदान जारी करने के एवज में पैसे भी लिए गए और कई मामलों में तो ये पैसे सेल्फ चेक के जरिए लिए गए। खास बात यह है कि जालंधर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े घोटाले की जांच इन दिनों विजिलेंस कर रही है और घोटाले से जुड़ा काफी रिकॉर्ड विजिलेंस के पास पहुंच चुका है। आने वाले दिनों में वे लोग भी सामने आ सकते हैं, जिन्होंने अनुदान पाने के बदले कुछ बिचौलियों को पैसे दिये थे। जालंधर निगम में हाउसिंग घोटाले को लेकर 3 पूर्व पार्षदों पर उंगली उठ रही है। विभाग के कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कांग्रेस के पिछले 5 साल के कार्यकाल के दौरान ये तीनों कौंसल विभाग के कमरे में ही रुकते थे और अक्सर फाइलों से छेड़छाड़ करते थे। इन तीनों पूर्व पार्षदों की सेटिंग आवास योजना से जुड़े फील्ड स्टाफ से थी।

खास बात यह है कि ये तीनों पार्षद न सिर्फ युवा हैं बल्कि नये भी हैं और पहली बार सदन में कदम रखा है। ये सभी अपने-अपने वार्डों में काफी सक्रिय थे और खास बात यह है कि तीनों पार्षदों के वार्डों में स्लम एरिया ज्यादा थे, इसलिए आवास योजना के तहत सबसे ज्यादा मामले तीनों पार्षदों के वार्डों में हुए। अब अगर विजिलेंस द्वारा इस मामले की विस्तृत जांच हो (जो शुरू भी हो चुकी है) तो वैज्ञानिक तरीके से यह पता लगाना संभव हो जायेगा कि पूर्व पार्षद ने सेल्फ चेक के जरिए कब और कितनी रिश्वत ली है।

पता चला है कि कुछ मामलों में अनुदान की पूरी राशि का चेक देने के बदले सेल्फ चेक के तौर पर 50 हजार रुपये की रिश्वत भी ली गयी। खास बात यह है कि इस घोटाले में जालंधर निगम के तीन पूर्व पार्षदों पर शामिल होने का आरोप लग रहा है, अब तीनों ने पार्टियां बदल ली हैं। नगर निगम के संबंधित अधिकारी यह रिकॉर्ड तैयार करने में लगे हुए हैं कि इन तीनों पूर्व पार्षदों के संबंधित वार्डों में कितने मामले हुए और ऐसे कितने परिवार थे, जिन्होंने पात्र नहीं होने के बावजूद इस योजना का लाभ लिया।

जालंधर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाले में संबंधित शाखा के कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आ रही है, जिन्होंने ऐसे लोगों को अनुदान जारी किया जो इसके लिए पात्र नहीं थे। अब निगम प्रशासन के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि इस शाखा से संबंधित अधिकतर कर्मचारी कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स आधार पर तैनात हैं और सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और कच्चे आधार पर काम कर रहे हैं।

सरकारी नियमों पर नजर डालें तो ऐसे कर्मचारियों की कोई जवाबदेही नहीं है। कल को अगर ये कर्मचारी नौकरी छोड़ देंगे तो निगम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। पता चला है कि इस अनुदान से संबंधित मामले का सर्वेक्षण करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए आउटसोर्स आधार पर जे. इज के इलावा सिटी लेवल टेक्निकल एक्सपर्ट की भी भूमिका होती है। ये सभी कर्मचारी चंडीगढ़ की एक कंपनी के माध्यम से जालंधर निगम में तैनात हैं। माना जा रहा है कि अगर विजिलेंस इस घोटाले के सबूत जुटा लेगी तो आउटसोर्स आधार पर रखे गए कुछ कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि विजिलेंस ने इन दिनों बड़े मामलों में प्राइवेट लोगों को शामिल करने की मुहिम शुरू कर दी है।

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