आज भी Indo-Pak के लोगों के सीने में छलक रहा है बिछड़ने का दर्द, पढ़ें

Edited By Vatika,Updated: 19 Sep, 2024 02:56 PM

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ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करने गए भारतीयों को मिलकर नम हो जाती है पाकिस्तानी आवाम की आंखें

लुधियाना (खुराना): पाकिस्तान की धरती पर ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे भारतीयो को मिलकर आज भी पाकिस्तानी अवाम की आंखें नम पड़ जाती है सच कह तो भारत-पाक बंटवारे के 77 वर्ष बाद भी दोनों मुल्कों के लोगों के सीने में कही ना कहीं बिछड़ने का दर्द आज भी छलक रहा है l

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चढ़दे अते लेहंदे पंजाब के लोग आज भी 1947 को हुए भारत पाक  बंटवारे के उस काले दौर को याद कर तड़पते नजर आ रहे हैं जब कुछ दंगाइयों ने उनके परिवारों का कतलेआम कर उनकी बहू बेटियों की इज्जत से खेलने के साथ ही लूटपाट करने का नंगा नाच किया l बंटवारे के दौरान हिंदू सिख और मुस्लिम भाईचारे के अधिकतर परिवार ऐसे बिछड़े के फिर कभी उनका मेल तक नहीं हो पाया जिसकी टीस आज भी उक्त दोनों मुल्कों के अधिकतर परिवार अपने सीने पर झेल रहे हैं l इसकी ताजा मिसाल उसे समय देखने को मिली जब पंजाब के लुधियाना शहर से संगतो का जत्था पाकिस्तान स्थित श्री गुरु नानक देव साहिब जी के चरण छोह प्राप्त गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए के लिए लहंदे पंजाब (पाकिस्तान )की धरती पर पहुंचा जिनका स्वागत पाकिस्तान की आवाम ने खुले दिल से करते हुए अपनी बाहें फैला दी l 

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संगत द्वारा करतारपुर कॉरिडोर की सरहद पार करते ही  पाक की धरती पर तैनात सैनिकों ने चढ़ते पंजाब (भारतीय) संगत को बिछड़े हुए भाइयों की तरह गले से लगाकर इजहार किया कि दोनों मुल्कों के लोगों का रिश्ता नाखून मास के समान गहरा और मजबूत रिश्ता है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता l वही संगत के गुरुद्वारा साहिब पहुंचने पर मुस्लिम भाईचारे के सेवादारों द्वारा फूलों की वर्षा करके स्वागत किया गया जिसमें गुरुद्वारा साहिब में तैनात सेवादारों एवम पाकिस्तानी सैनिको द्वारा बड़े अदब के साथ श्री गुरु नानक देव महाराज जी के जीवन और गुरुद्वारा साहिब के इतिहास संबंधी जानकारी साझा करते हुए संगत का दिल जीत लिया l ऐतिहासिक लम्हों के दौरान ऐसा महसूस नहीं हो रहा था कि भारत और पाक दो अलग-अलग देश है बल्कि ऐसा लग रहा था कि दोनों भाईचारे के लोग अपने परिवार सदस्यों के किस्से कहानियां और दुख दर्द सांझा कर एक दूसरे पर अपना हक जाता रहे हैं l

बाबा नानक की मजार पर सजदे करते हैं हजारों मुस्लिम परिवार 
गुरुद्वारा श्री करतार पुर साहिब की एंट्री गेट पर बाबा नानक की बनी ऐतिहासिक मजार पर रोजाना सुबह हजारों मुस्लिम परिवार सजदे करते हुए अल्लाह_ताला (वाहेगुरु) के आगे झोली फैला कर अपने परिवारों की खैरियत मांगते हैं l गुरुद्वारा साहिब के सेवादारों ने बताया कि जब श्री गुरु नानक देव साहिब जी ने अपना शारीरिक चोला  त्यागा था तो इस दौरान जहां हिंदू भाईचारे के लोगों ने अपनी धार्मिक मर्यादा के मुताबिक श्री गुरु नानक देव साहिब जी का अंगीठा संभाला वही मुस्लिम भाईचारे द्वारा अपने गुरु नानक देव महाराज जी की चादर और फूलों की दफन कर मजार साहिब स्थापित की गई l और साथ ही श्री गुरु गुरु नानक देव जी जिस कुएं से अपने खेतों में पानी लगाते थे आज भी उस कुएं  (खूह) को चालू हालत में पाकिस्तान गुरुद्वारा साहिब की प्रबंधक कमेटी ने बड़ी शान ओ शौकत और अदब के साथ संभाल कर रखा हुआ है जहां पर दोनों मुल्कों की संगत नतमस्तक होकर गुरु साहब को शीश निवा रही है l अब अगर बात की जाए गुरुद्वारा साहिब में बने सरोवर की तो यहां का जल आईने की तरह बिल्कुल साफ है सरोवर में स्नान करने के बाद प्रत्येक व्यक्ति का तन और मन दोनों हल्के हो जाते हैं l

लंगर का प्रबंध भी बे-मिसाल 
गुरुद्वारा साहिब के खुले लंगर हाल में साफ सफाई देखकर संगत का मन खुश हो गया पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा संगत के लिए किए गए लंगर का प्रबंध भी बेमिसाल है l जहां पर गुरु घर की मर्यादा के अनुसार सादा दाल रोटी के साथ ही कढ़ी चावल और चाय आदि के प्रबंध किए गए हैं लंगर को छक्क कर संगत का मन तन पुरी तरह से तृप्ति हो जाता हैं और पाकिस्तानी धरती की मिट्टी की खुशबू आज भी पंजाबियों को अपनेपन का एहसास कुछ इस तरह से करवा रही है जैसे कोई इंसान लंबे अरसे के बाद विदेशी धरती से वापिस अपने वतन को लौटा हो l

गुरुद्वारा साहिब के पास बने बाजार का भी अपना अलग  नजारा 
गुरुद्वारा साहिब से चंद कदमों की दूरी पर बने बाजार का भी अपना अलग ही नजारा है जहां पर पंजाबी जूती के साथ ही पाकिस्तानी पहरावा (सूट, फुलकारी,चुनियां, कुर्ते-पजामे, आदि के साथ ही पाकिस्तान हवा और मिठाइयां पंजाबी संस्कृति की अनोखी छाप छोड़ रहे हैं  जो कि विशेष तौर पर महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जहां पर महिलाएं पाकिस्तानी सूट खरीदने के लिए काफी उत्सुक दिखाई दी l लेकिन इस दौरान जब शाम के 4 बजाते हैं तो नियमों एवं शर्तों के साथ ही सुरक्षा के लिहाज या यूं कहे कि दोनों मुल्कों में हुई संधि के मुताबिक संगत न चाहते हुए इस वायदे के साथ के वह फिर से गुरु घर के दर्शन करने के लिए पाकिस्तान की धरती पर आएंगे कहते हुए वापस बस में बैठकर  करतारपुर कॉरिडोर को पार करती है l

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