Edited By Kalash,Updated: 12 Nov, 2024 01:11 PM
स्वास्थ्य विभाग के फूड विंग की कार्यशैली और सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई सुविधाओं को देखते हुए लोगों की सेहत पर खतरा बना हुआ है।
लुधियाना : स्वास्थ्य विभाग के फूड विंग की कार्यशैली और सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई सुविधाओं को देखते हुए लोगों की सेहत पर खतरा बना हुआ है। त्योहारों के दिनों में जब खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट का अंदेशा सबसे अधिक होता है तो ऐसे वक्त में स्वास्थ्य विभाग की टीमों में आशा के अनुरूप सैंपलिंग नहीं की और न ही इस बार फूड कमिश्नर द्वारा सभी जिलों में इंटर डिस्ट्रिक्ट टीमें भेज कर फूड सैंपलिंग कराई गई। जिले में फूड सेफ्टी अफसर ऑन की शॉर्टेज बरकरार रही एक फूड सेफ्टी अफसर को मोगा से एडीशनल चार्ज देकर लुधियाना भेजा गया। अक्तूबर महीने में दीवाली के आगमन से पहले जिले में जितने भी फूड सैंपल लिए गए उसकी रिपोर्ट त्योहारों से पहले नहीं आई। एक-आध मामलों में मिलावटी सामान जब्त कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया परंतु वह मामला भी विवादों में रहा। वहीं दूसरी ओर एक बस में से खोया पकड़ कर छोड़ दिया गया जिसकी चर्चा भी काफी दिनों तक बनी रही आज तक अधिकारी भी यह नहीं बता पाए कि अक्तूबर महीने में कितने सैंपल लिए और उसमें से कितने सैंपल की रिपोर्ट फेल आई।
वी.आई.पी. ड्यूटी पर 4 जिलों की टीमें तैनात
एक और जहां स्वास्थ्य विभाग में फूड सेफ्टी अफसरों तथा संसाधनों की शॉर्टेज का रोना हर समय रोया जाता है वहीं दूसरी ओर 12 नवम्बर को वी.आई.पी. ड्यूटी देखते हुए 4 जिलों की फूड सेफ्टी अफसर की टीम में लुधियाना में तैनात की गई है। इनमें से लुधियाना के अलावा जालंधर कपूरथला तथा मोगा के फूड सेफ्टी अफसरों को तेनात किया गया। इनके साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी स्वास्थ्य सहायिका तथा ड्राइवरों को तैनात किया गया है। जहां तक संसाधनों की बात है फूड विंग की टीम यह कहकर सैंपल के टारगेट पूरे न होने का बहाना बनाती है कि उनके पास विभाग द्वारा दिया गया एक ही वाहन है इसलिए एक समय पर एक फूड सेफ्टी अफसर ही अपने इलाके में सैंपल लेने जा सकता है।
जिला स्तरीय एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य की शिकायत को किया अनदेखा
दीपावली के दिनों मे जिला स्तरीय एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य जो 20 वर्ष तक कमेटी में रहे ने रेलवे स्टेशन के पास एक फोर व्हीलर को खोये के टीन लोड करते हुए देखा जो यू.पी. से रेलगाड़ी द्वारा लुधियाना लाया गया था परंतु जिला स्वास्थ्य अधिकारी के अलावा सहायक फूड कमिश्नर ने उनकी शिकायत पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया और देखते ही देखते वह गाड़ी मुजफ्फरनगर से आए खोये को लोड करके चली गई बाद में जिला स्तरीय कमेटी के पूर्व सदस्य राज मल्होत्रा ने लिखित तौर पर इसकी शिकायत फूड कमिश्नर को भेजी है।
37 क्विंटल खोए के मामले में वर्षों से जांच लंबित छोटी मोटी शिकायतों की कोई नहीं सुनता
जिले में 2 मामले काफी चर्चा में रहे हैं, इनमें से एक स्वास्थ्य विभाग द्वारा पकड़े गए मिलावटी खोए के 10 क्विंटल जप्त स्टॉक का गायब हो जाना इसके अलावा 27 क्विंटल खोए के जप्त किए हुए स्टॉक की वर्षों तक सुध न लेना बाद में फिजिकल वेरिफिकेशन के दौरान उसमें छेड़छाड़ पाए जाने के बावजूद दोनों मामले में पुलिस को सूचित न करना शामिल है विभाग द्वारा जांच के नाम पर इन मामलों को वर्षों से लटकाया जा रहा है। यह मामला पंजाब राज्य मानवाधिकार कमीशन तथा विजीलैंस के पास भी पेंडिंग बताया जाता है परंतु स्वास्थ्य अधिकारी अपने अधिकारियों को बचाने में लगे बताए जाते हैं।
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