Edited By Vaneet,Updated: 14 Feb, 2020 02:41 PM
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को 100 साल पूरे होने जा रहे हैं, परन्तु कुछ अपने ही लोग इसे बदनाम करने की...
अमृतसर(दीपक): शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को 100 साल पूरे होने जा रहे हैं, परन्तु कुछ अपने ही लोग इसे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और पूर्व मुख्य सचिव हरचरन सिंह द्वारा शिरोमणि कमेटी की कार्यशैली पर सवाल खड़े करना इसका सबूत है। ऐसे में वह विरोधियों के हाथों की कठपुतली बनने बचें। यह बात एक बयान में प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लौंगोवाल, सीनियर उप प्रधान भाई राजिन्दर सिंह मेहता और जनरल सचिव हरजिन्दर सिंह धामी ने कही।
उन्होंने कहा कि हरचरन सिंह शिरोमणि कमेटी उच्च पद पर रहे हैं और संस्था के हर फैसले पर सहमति देकर फाइलें आगे भेजी। अगर उनके आरोपों में वजन है तो फाइलों पर दस्तखत क्यों करते रहे, हर प्रस्ताव अपने दस्तखतों से रिलीज किया। 2015 में राम रहीम को माफी के प्रस्ताव पर भी हरचरन सिंह के ही दस्तखत हैं। वह शिरोमणि कमेटी से हर तरह की सुविधा लेते रहे और आज संस्था को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कमेटी से 23 महीनों में करीब 84 लाख रुपए वेतन और अन्य भत्ते लिए। यही नहीं कई तरह से अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने देश-विदेश की संगत से हरचरन सिंह की बातों पर ध्यान न देने की अपील की।