इस बार भी मतदान के दिन ही डेरा ने खोले समर्थन के पत्ते

Edited By Kalash,Updated: 21 Feb, 2022 01:42 PM

dera opened its cards of support on the day of voting

पिछले चुनावों की तरह इस बार भी डेरा सच्चा सौदा की और से खुले रूप से समर्थन करने की बजाय पंजाब विधानसभा चुनाव के

जालंधर : पिछले चुनावों की तरह इस बार भी डेरा सच्चा सौदा की और से खुले रूप से समर्थन करने की बजाय पंजाब विधानसभा चुनाव के बिल्कुल आखिरी समय में ही समर्थन को लेकर अपने पत्ते खोले गए हैं। डेरा सच्चा सौदा की ओर से पंजाब के विधानसभा चुनाव को लेकर इस दफा भी मिलाजुला समर्थन देते हुए आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवारों को अलग-अलग सीटों पर समर्थन दिया गया है। इस मिले जुले समर्थन ने सभी दलों व उम्मीदवारों की धड़कनों को बढ़ा दिया है। डेरा सच्चा सौदा की सियासी विंग की ओर से डेरा की 45 सदस्यीय टीम द्वारा विभिन्न सीटों पर अलग-अलग उम्मीदवारों को समर्थन दिए जाने संबंधी संदेश रविवार सुबह मतदान शुरू होने के साथ ही भेजने का सिलसिला शुरू कर दिया था। हालांकि देरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के एक पक्ष की और से लगातार पंजाब चुनाव में नोटा का बटन दबाए जाने की मुहिम भी चलाई जा रही थी, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि डेरा की राजनीतिक विंग का फैसला ही अधिक प्रभावी रहता है और राजनीतिक विंग ने अपना फैसला मतदान शुरू होने से थोड़ा समय पहले ही सार्वजनिक किया।

गौरतलब है कि पंजाब में 117 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से पंजाब के मालवा क्षेत्र के 13 जिलों में 69 विधानसभा की सीटें हैं। इनमें से अधिकांश सीटों पर डेरा का वोट बैंक निर्णायक भूमिका में रहता है डेरा का दावा है कि मालवा बैल्ट में उसके 50 लाख अनुयायी है। डेरा सच्चा सौदा की अपनी राजनीतिक विंग है। यह राजनीतिक विंग ही जिला अनुसार और ब्लॉक अनुसार डेरा प्रेमियों से रायशुमारी करने के बाद चुनावों को लेकर अकसर अपना फैसला करती है। ऐसा माना जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग की ओर से इस बार भी पंजाब के मालवा बैल्ट में कई बैठकों का आयोजन किया गया था। इसके अलावा डेरा प्रेमियों से भी राय जानी गई। यह सब प्रक्रिया पूरी करने के बाद मतदान के दिन ही डेरा सच्चा सौदा की सियासी विंग की ओर से पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर समर्थन का फैसला किया गया। सियासी विंग की ओर से लिए गए निर्णय के अनुसार पंजाब में ज्यादातर सीटों पर डेरा ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि मालवा रीजन की करीब 15 सीटों पर तो डेरा का बड़ा जबरदस्त प्रभाव है। इसके अलावा 50 सीटों पर डेरा सच्चा सौदा किसी के समीकरण बना सकता है वे किसी के समीकरण बिगाड़ भी सकता है। ऐसे में इस बार पंजाब चुनाव को लेकर डेरा सच्चा सौदा की भूमिका क्या रहती है और देरा का समर्थन किसका समीकरण बनाता व बिगाड़ता है यह देखना दिलचस्प होगा और इस बारे तस्वीर 10 मार्च को मतगणना के साथ ही साफ हो जाएगी।

2014 के लोकसभा चुनाव में किया था भाजपा का खुला समर्थन
डेरा सच्चा सौदा का पंजाब के मालवा रीजन में असर है। डेरा की ओर से दावा किया जाता है कि पंजाब के मालवा में उसके लाखों श्रद्धालु हैं। गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौद की अपनी सियसी विंग और डेरा सच्चा सौदा हरियाणा के साथ-साथ पंजाब के पिछले कई चुनावों मे सिवासी रूप में दखल देता आया है। उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय सिरसा में है। अतीत की बात करें तो 2014 के लोकसभा और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में डेरा ने भारतीय जनता पार्टी का खुले तौर पर समर्थन किया था और तब हरियाणा में पहली बार ने भाजपा अपने बूते बहुमत हासिल करके सत्ता में आई थी। खास बात यह भी है कि डेरा सच्चा सौदा फिल्म निर्माण में लेकर कई तरह के उत्पाद भी बनाता रहा है, मगर 2017 में डेरा के संत गुरमीत राम रहीम सिंह के जेल जाने बाद तमाम गतिविधियों पर ब्रेक सा लग गया है। पंजाब के 2007, 2012 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरा की काफी दखल की थी। इसके अलावा साल 2014 के लोकसभा व अक्तूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा व हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी डेरा ने भाजपा का समन किया था।

1998 में बनी थी डेरे की सियासी विंग
गौरतलब है कि वर्ष 1998 में डेरा सच्चा सौदा की और से राजनीतिक विंग बनाई गई थी। हरियाणा पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में इस विंग के दर्जनों सदस्य बनाए गए। वर्ष 2007 के पंजाब चुनाव में पहली बार प्रत्यक्ष रूप से डेरा की इस सियासी विंगने कांग्रेस को समर्थन दिया था। इसके बाद वर्ष 2012 में मी डेरा ने कांग्रेस को समर्थन दिया। कांग्रेस को समर्थन देने के बावजूद 2007 में शिरोमणि अकाली दल भाजपा सरकार बनी। 2012 के चुनाव में मालबा बैल्ट में शिरोमणि अकाली दल को 33 सीटें मिलीं। खास बात है कि 2012 के चुनाव में स्वयं डेरा प्रमुख के समधी हरमिंद्र सिंह जी भटिंडा विधानसभा क्षेत्र से शिअद के प्रत्याशी चंद्रसिंगला से 6445 वोटों से हार गए थे। यही नहीं इसके बाद हुए तलबंडी साबो उपचुनाव में भी जस्सी को हार का सामना करना पड़ा तो 2017 के चुनाव में मौड़ मंडी से भी उनकी हार हुई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से पक्ष रूप से चुनाव से कुछ दिन पहले डेरा ने कांग्रेस को समर्थन दिया, लेकिन कांग्रेस वहां बड़े अंतर से चुनाव पर गई। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरा ने प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को समर्थन दिया। प्रदेश में भाजपा ने 47 सीट लेकर सरकार बनाई।

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