कैप्टन सरकार के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष 2020 को कोरोना ने कर दिया बेकार

Edited By Vatika,Updated: 23 Jun, 2020 10:16 AM

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राजनीति संभावनाओं का खेल है, कब राजनीतिक परिस्थितियां बदल जाएं और क्या से क्या हो जाए इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता परंतु

पठानकोट(शारदा): राजनीति संभावनाओं का खेल है, कब राजनीतिक परिस्थितियां बदल जाएं और क्या से क्या हो जाए इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता परंतु फिर भी सत्ता के माहिर खिलाड़ी राजनीतिज्ञ अपनी 5 वर्ष की सत्ता को इस प्रकार से चलाते हैं कि सरकार के रिपीट होने की संभावनाएं बनी रहें।
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सरकार को चलाने वाली राजनीतिक एवं अफसरों की टीम इस प्रकार से योजनाएं बनाती है कि 3 वर्ष हनीमून में निकल जाएं और अंतिम 2 वर्षों में येन-केन-प्राक्रेन लोन लेकर ताबड़तोड़ ढंग से विकास कार्य भी किए जाएं और तिकड़मबाजी से विपक्षी दल दुश्मनों को पछाड़ते हुए सरकार को रिपीट करवाने की योजना को अमलीजामा पहनाया जाए। अकाली दल ने लगातार बैक-टू-बैक 10 वर्ष राज करके पंजाब में सरकार के रिपीट होने की संभावनाओं को बल दिया है। कांग्रेस भी अब इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती। यक्ष प्रश्न यह है कि क्या कैप्टन सरकार ऐसा कर पाएगी। कैप्टन साहिब ने पुन: चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है और राजनीति के माहिर एवं प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को पुन: चुनाव में लीड करने की इछा प्रकट की है, जोकि पंजाब की आगामी होने वाली राजनीति के काफी हद तक स्पष्ट संदेश हैं।
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पंजाब में लगातार 5 वर्ष विकास करवाने के बारे में नहीं सोचा जा सकता क्योंकि सरकार बुरी तरह से ऋण में डूबी हुई है और हर वर्ष उसकी स्थिति बद से बदतर होती है क्योंकि किसानों को दी जाने वाली नि:शुल्क बिजली, सरकारी कर्मचारियों के वेतन एवं पैंशन का बोझ और कुछ सामाजिक योजनाओं के साथ-साथ लिए हुए ऋण का ब्याज, ऐसे खर्चे हैं जो बजट की सारी की सारी राशि हड़प जाते हैं और कई बार तो कर्ज उतारने के लिए सरकार को और कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। इन परिस्थितियों में मात्र अंतिम 2 वर्ष ही सरकार के पास होते हैं जहां वह लोन लेकर विकास कार्य करवा पाती है, परंतु एक पुरानी उक्ती ‘मैन प्रपोजिज गॉड डिस्पोजिज’ पूरी तरह से सरकार के ऊपर चरितार्थ होती है कि जब सरकार ने इस वर्ष विकास की आंधी लाने की योजना बनाई है तो 22 मार्च को कोरेाना ने दस्तक दे दी और सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई। जहां आर्थिक रूप से सरकार बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है वहीं कोरोना पूरा वर्ष 2020 साफ करता हुआ नजर आ रहा है। अगर कहीं विकास के कार्य चल भी रहे हैं तो प्रतिदिन आने वाले कोरोना के केस विकास के मुद्दे को पूरी तरह से गौण कर रहे हैं। अब चुनावों की घोषणा से पहले सरकार के पास मात्र 400 कार्यशील दिन बचे हैं उनमें से सरकारी छुट्टियां और दिन त्यौहार निकाल लिए जाएं तो सरकार को अपने एजैंडे को लागू करने के लिए एक्टिव मूड में आना होगा, जो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा।

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