खुले आसमान में मौत बन उड़ रही चाइना डोर, धड़ल्ले से हो रही सेल

Edited By Kalash,Updated: 01 Dec, 2025 12:12 PM

china door black sale

लोहड़ी का पर्व नजदीक आते ही शहर में प्रतिबंधित ड्रैगन (खूनी) डोर (चाईना डोर ) की ब्रिकी अंदरखाते धड़ल्ले से होनी शुरू हो गई है।

अमृतसर (जशन): लोहड़ी का पर्व नजदीक आते ही शहर में प्रतिबंधित ड्रैगन (खूनी) डोर (चाईना डोर ) की ब्रिकी अंदरखाते धड़ल्ले से होनी शुरू हो गई है। इस चाइना डोर से आसमान में उड़ते पक्षियों के साथ-साथ लोगों की भी जान माल का काफी नुक्सान हो चुका है, परन्तु इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस प्रतिबंधित चाइना डोर और पूर्ण तौर पर पाबंदी लगाने में नाकाम ही साबित हो रही है। हालांकि पुलिस द्व‌ारा विगत सप्ताह इस प्रति अलग-अलग थानों की पुलिस ने तीन-चार मामले भी दर्ज किए है और आरोपी काफी संख्या में गट्टुओं (चाइना डोर) के साथ पकड़े है, परंतु फिर भी इसकी अंदरखाते ब्रिकी थमने का नाम नहीं ले रही है।

बता दें कि इस चाईना डोर को खूनी डोर के नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि प्लॉस्टिक व अन्य प्रकार के मटीरियल से बनने वाली इस डोर के हवा में उड़ने के कारण इसकी लपेट में आने से कई लोग इससे अपनी जान तक खो चुके है। इसके अलावा हवा में उड़ने वाली इस घात्तक डोर के बीच कई छोटे-बड़े पक्षी भी इसकी लपेट में आकर जान गवां चुके है। ये खूनी डोर पर्यावरण के लिए भी नुक्सान का कारण बन रही है।

पहले जरूरत के लिए चाइना से की जाती थी इम्पोर्ट

गौरतलब है कि विगत कई वर्ष पहले ये प्लॉस्टिक डोर चाइना देश से जरूरत के लिए इम्पोर्ट की जाती थी। जैसे ही इसकी डिमांड बढ़ी तो फिर देश की राजधानी दिल्ली में ही इसके कई कारखाने खुल गए और अब इस प्लॉस्टिक डोर देश के कारखाने देश के लगभग हरेक राज्य में है। अगर ये डोर इतनी घात्तक है तो फिर देश में इस पर पूर्ण तौर से पाबंदी क्यों नहीं लगा दी जाती? इसका कारण कई इंडस्ट्री में इस डोर का प्रयोग होना है। युवाओं के बीच जीन की पैंट (जो काफी लोक प्रिय है) की सिलाई के लिए इसी चाइना डोर का प्रयोग होता है। पहले देश में इसी कारण ही इस डोर का आयात हुआ था, परंतु फिर बाद में लोग इससे पतंगे उड़ाने लगे, तो फिर इसी डिमांड में जबरदस्त उछाल आया और अब ये डोर लोगों को बहुत घात्तक बनी हुई है।

क्या है चाइना डोर व क्यों है ये खतरनाक?

चाइना डोर एक प्रकार का पतंग उड़ाने के लिए उपयोग होने वाला मांझा है, जो सिंथैटिक प्लास्टिक और धातु के मिश्रण से बनता है। यह डोर अन्य सामान्य मांझों के मुकाबले काफी मजबूत होती है और यह जल्दी टूटती नहीं है। इसके निर्माण में नायलोन, शीशे की लेड व अन्य खतरनाक कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह न केवल मजबूत बनता है, बल्कि अन्य डोरों से ज्यादा खतरनाक भी होता है। चाइना डोर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह इंसान के लिए भी खतरनाक है और पक्षियों के लिए तो यह मौत का कारण बन सकती है।

एक्सीडैंटों का कारण बन रही है चाईना डोर

चाइना डोर का सबसे बड़ा खतरा करंट के रूप में सामने आता है। जब यह डोर बिजली के हाई-वोल्टेज तारों के संपर्क में आती है तो करंट लगने का खतरा होता है। इस करंट की चपेट में आने से किसी भी व्यक्ति की जान जा सकती है। कुछ माह पहले ही शहर व आस-पास के क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें कई लोगों के गले में यह डोर फंसकर वह हादसों का शिकार हो गए, कइयों के हाथ कट गए और कइयों के अन्य शरीर पर भी गंभीर जख्म इस डोर ने दिए हैं। इसके अलावा इसकी लपेट में आने से कइयों की मौत भी हो चुकी है। विगत वर्ष बटाला रोड स्थिति बी.आर.टी.सी. लेन में एक व्यक्ति इसकी चपेट में आ गया था और इस डोर से उसका गला कटने से मृत्यु हो गई थी।

उड़ते पक्षियों के पंखों को एकदम काट देती है ड्रैगन डोर

पक्षियों के लिए चाइना डोर जिसे ड्रैगन डोर भी कहा जाता है एक और बड़ी समस्या है। चाइनीज मांझे की धार इतनी तेज होती है कि यह उड़ते हुए पक्षियों के पंखों को काट सकती है और यदि यह डोर पक्षी के गर्दन पर यदि लग जाए तो उसकी मृत्यु होना संभाविक है। यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है, क्योंकि हर साल सैकड़ों पक्षी इस डोर के शिकार होते हैं, इसलिए चाइना डोर का उपयोग न केवल इंसानों के लिए बल्कि पक्षियों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है।

ड्रैगन डोर की जमकर हो रही कालाबाजारी

लोहड़ी पर्व को लेकर अभी डेढ़ माह का समय शेष है, परंतु अभी से ही शहर में अब से ही अंदरखाते इस खूनी डोर की कालाबाजारी हो रही है। जानकारी के अनुसार चाइना डोर का एक गट्टू (आधा किलो) जोकि पहले 350-450 से मिल जाता था, अब यहीं गट्टू 500-550 में मिल रहा है। वहीं एक किलो वाला गट्टू 1200-1300 तक पहुंच चुका है। सूत्र बताते हैं कि लोहड़ी के और नजदीक आने पर इसकी कीमत इससे भी दौगुणी (डब्बल) तक हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस डोर की बेचने वाले इसकी स्टोरेज गर्मियों में ही शुरू कर देते है और लोहड़ी पर्व पर इसकी ब्लैक में ब्रिकी कर खूब चांदी कूटते है।

कानून सख्त न होने के कारण से बिक रही है धड़ल्ले से चाइना डोर

दूसरी तरफ चाइना डोर के मामले में कोई सख्त कानून न होने का कारण प्रशासन व पुलिस चाइना डोर की बिक्री करने वालों व इसका प्रयोग करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पाता। कानूनन इस प्रति लगने वाली धारा 188 के पर्चे में, थाने में ही आरोपी व्यक्ति की जमानत हो जाती है। हालात यहां कर पंहुच जाते है कि लोहड़ी पर्व के एक सप्ताह पहले तो इस डोर की जबरदस्त ब्लैक होती है और इसके व्यापारी लोगों से दोगुणा तक की कीमत वसूलते है।

लोगों की खुद होना पड़ेगा जागरूक

इसकी पूर्ण तौर पर रोकथाम ही जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा ये डोर ऐसे ही लोगों का नुक्सान पहुंचाती रहेगी। चाइना डोर की रोकथाम की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की नहीं नहीं, बल्कि समाज के हर सदस्य को इसे लेकर जागरूक होना होगा। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि यह डोर न केवल इंसान के लिए खतरनाक है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और पक्षियों के लिए भी घातक है। हमें इस डोर के प्रयोग को बंद करने के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना होगा और प्रशासन का सहयोग करना होगा। इसके अलावा, पतंगबाजी के शौकिनों को यह समझना होगा कि यदि वे सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पतंग उड़ाएं तो वे न केवल अपनी सुरक्षा कर सकते हैं, बल्कि दूसरों और पक्षियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

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