4 नवंबर को राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे कैप्टन, पंजाब में ‘मध्यावधि चुनावों की अटकलें तेज’

Edited By Tania pathak,Updated: 01 Nov, 2020 08:41 AM

captain to meet president on november 4

पार्टी हाईकमान कार्यालय के एक सूत्र का कहना था कि कैप्टन अमरेंद्र को हाईकमान ने खुले हाथ दिए हैं और इसी के चलते ही बगावत पर उतरे नवजोत सिद्धू को भी कैप्टन अमरेंद्र के विरुद्ध बोलने से रोका गया है...

जालंधर (एन. मोहन): केंद्रीय कृषि अधिनियमों के विरुद्ध पंजाब विधानसभा द्वारा पास बिलों को लेकर मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की 4 नवम्बर को राष्ट्रपति से भेंट ने पंजाब में मध्यावधि चुनावों की अटकलें तेज कर दी हैं। पंजाब विधानसभा में 21 अक्तूबर को मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह अपनी जेब में इस्तीफा लेकर चल रहे हैं। 23 नवम्बर, 2016 को ङ्क्षलक नहर के निर्णय के विरुद्ध और जून, 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब पर सैनिक कार्रवाई के खिलाफ संसद सदस्य के पद से वह त्यागपत्र दे चुके हैं। 23 नवम्बर, 2016 को तो पंजाब में विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस के 42 विधायकों ने भी त्यागपत्र दिया था और वर्तमान में भी मुद्दा गंभीर है, जबकि राज्य में राजनीतिक हालात में भी कैप्टन अमरेंद्र अन्य नेताओं से मजबूत हैं।

मुख्यमंत्री की राष्ट्रपति से भेंट को गहनता से देखा जा रहा है हालांकि यह बैठक पंजाब विधानसभा द्वारा पास बिलों को लेकर है परंतु कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि पंजाब में वर्तमान समय कांग्रेस के पक्ष में है और कांग्रेस इसी का फायदा लेने की फिराक में है। चुनावों को सिर्फ सवा साल का समय बाकी है, जिसमें 3 माह तो चुनाव प्रक्रिया के हैं। अकाली दल और भाजपा का गठजोड़ टूटने के बाद न तो अकाली दल अपनी पैठ कायम कर सका है और न ही भाजपा अभी राज्य के सभी 117 विधानसभा क्षेत्रों में अपना प्रभाव बना पाई है। भाजपा  और आम आदमी पार्टी के पास अभी तो ऐसा कोई दमदार चेहरा भी नहीं है, जो मुख्यमंत्री अमरेंद्र जैसा प्रभाव रखता हो। पंजाब में विकास, कानून व्यवस्था और कांग्रेस द्वारा किए वायदों को पूरा करने का संकट भी है तथा राज्य में भ्रष्टाचार भी लोगों को परेशान कर रहा है। इन सब संकटों को भुलाने और कृषि संकट में कांग्रेस फिर से जनादेश लेने के नाम पर मध्यावधि चुनावों का दाव खेल सकती है। 

राज्य में कृषि बिलों को लेकर आंदोलन जारी है, ऊपर से केंद्र द्वारा प्रदूषण, कृषि ऋण को लेकर सख्त निर्णय से भी पंजाब में किसान आंदोलन के निकट भविष्य में समाप्त होने के आसार नहीं हैं। किसान मांगों को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा सभी दलों के नेताओं के नेतृत्व का खेल भी कांग्रेस के पक्ष में है। कोई भी दल मुख्यमंत्री द्वारा चलाए अभियान का विरोध करने की स्थिति में नहीं है।
विधानसभा में अमरेंद्र द्वारा अपने इस्तीफे की बात के बाद पंजाब कांग्रेस के मंत्री, विधायक और पार्टी नेता इस्तीफे की बातें दोहरा रहे हैं। 

पार्टी हाईकमान कार्यालय के एक सूत्र का कहना था कि कैप्टन अमरेंद्र को हाईकमान ने खुले हाथ दिए हैं और इसी के चलते ही बगावत पर उतरे नवजोत सिद्धू को भी कैप्टन अमरेंद्र के विरुद्ध बोलने से रोका गया है। पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत की तरफ से अन्य बागी सोच वाले कांग्रेसी नेताओं और राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो को भी पंजाब सरकार के विरुद्ध बोलने से रोका गया है। 

सूत्रों के अनुसार अगर पंजाब के मुख्यमंत्री को कोई भी ‘बड़ा’ निर्णय लेना पड़ा तो उन्हें दोबारा पार्टी हाईकमान से बात नहीं करनी पड़ेगी। दिलचस्प बात यह भी है कि राज्य के अन्य दलों के नेताओं में भी पंजाब में मध्यावधि चुनावों की आशंका बनी हुई है। इस संदर्भ में पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क का प्रयास किया गया परंतु किसी ने भी औपचारिक रूप से मध्यावधि चुनावों पर बोलने से किनारा कर लिया, परंतु राज्य के हितों के नाम पर कुर्बानी की बात को बड़े जोश से कहा।

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