सिद्धू की कैबिनेट में कब होगी वापसी, सिर्फ कैप्टन को ही खबर

Edited By Vatika,Updated: 02 Dec, 2020 09:51 AM

captain amarinder singh cabinet navjot sidhu

25 नवम्बर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आवास पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की लंच पर मुलाकात के बाद से ही यह कयास तेज हो गए थे

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र): 25 नवम्बर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आवास पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की लंच पर मुलाकात के बाद से ही यह कयास तेज हो गए थे कि जल्द पंजाब सरकार में बतौर मंत्री सिद्धू की वापसी होने जा रही है। खुद मुख्यमंत्री द्वारा लंच का न्यौता दिए जाने की खबर भी मुख्यमंत्री कार्यालय से ही एक दिन पहले मीडिया को मिली थी। अब एक हफ्ते बाद भी सिद्धू की ओर से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं आई है, जबकि मुख्यमंत्री का कहना है कि दोनों ने सादा खाना खाया और क्रिकेट पर चर्चा की। कोई राजनीतिक बात इस दौरान नहीं हुई। 
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सूत्रों की मानें तो सिद्धू की अमरेंद्र काबिना में वापसी तो होगी मगर कब, यह केवल वही जानते हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक सिद्धू को चहेता स्थानीय निकाय विभाग देने को कैप्टन अमरेंद्र राजी नहीं हैं। अलबत्ता जिन बिजली और न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी विभागों को संभालने की बजाय सिद्धू ने इस्तीफा देना बेहतर समझा था, उन्हें वही विभाग वापस मिलेगा मगर साथ में किसी और विभाग की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। गौरतलब है कि कैप्टन अमरेंद्र ने गत वर्ष लोकसभा चुनाव के बाद जब कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया था, तब सिद्धू से स्थानीय निकाय और पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामले विभाग वापस ले लिए थे। इससे नाराज होकर सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू पर गाज गिरने का अंदेशा तभी हो गया था, जब अमरेंद्र ने पंजाब में कुछ सीटों पर हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहरा दिया था। उन्होंने तब यह टिप्पणी की थी, जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आ ही रहे थे। राहुल-प्रियंका के बेहद नजदीकी माने जाते नवजोत सिद्धू पिछले साल इस्तीफे के बाद से राजनीतिक वनवास भुगत रहे हैं। वह न तो किसी राजनीतिक मंच पर दिखाई देते थे और न ही पार्टी बैठकों में नजर आते थे। अब तक सिद्धू को यही लगता रहा है कि राहुल गांधी एक न एक दिन उनकी नैया जरूर पार लगाएंगे मगर मौजूदा हालात फिलहाल तो इसकी गवाही नहीं देतेे।

चाहे कितनी बैठकें हो जाएं मगर अमरेंद्र करेंगे वही जो वह चाहेंगे
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इन दोनों नेताओं में चाहे कितनी बैठकें हो जाएं मगर अमरेंद्र करेंगे वही,जो वह चाहेंगे। कांग्रेस का अंदरूनी मौजूदा माहौल ऐसा है कि कांग्रेस आलाकमान बेहद कमजोर हो चुकी है, दूसरी ओर कैप्टन अमरेंद्र पंजाब में बेहद मजबूत दिखाई पड़ते हैं। ऐसे में हाईकमान कैप्टन पर दबाव बनाकर सिद्धू को मंत्री या डिप्टी मुख्यमंत्री नहीं बनवा सकती। वैसे सिद्धू अकेले ऐसे नेता नहीं हैं, जो राहुल खेमे में गिने जाते हों और जिनका ऐसा हश्र पार्टी में हुआ हो। प्रताप सिंह बाजवा पर भी राहुल का ही हाथ रहा है, जिन्हें राहुल ने पंजाब कांग्रेस प्रधान बनाया था। इसके बावजूद अमरेंद्र ने उनके पैर पंजाब में जमने नहीं दिए। यहां तक कि बाजवा का लोकसभा हलका तक उनसे छीन लिया। बाजवा को राहुल बेशक राज्यसभा मैंबर बनाकर दिल्ली ले गए हों मगर वह राज्य की राजनीति में अब कहीं नजर नहीं आते।

गेंद फिर कैप्टन के पाले में ही
सिद्धू भी अब तक इसी इंतजार में थे कि राहुल उनकी पंजाब सरकार में सम्मानजनक वापसी कराएंगे मगर उन्हें यह बात तभी समझ जानी चाहिए थी जब इस्तीफा दिया था। उन्होंने गत वर्ष 10 जून को इस्तीफा राहुल गांधी को भेजा था और 16 जुलाई को सार्वजनिक किया था कि वह पिछले महीने ही त्यागपत्र भेज चुके हैं। सवा महीने में भी राहुल अमरेंद्र से सिद्धू के मामले में अपनी बात नहीं मनवा पाए थे। ऐसे में सिद्धू के लिए 2022 तक का इंतजार करना भी मुश्किल हो गया, क्योंकि इसकी कोई गारंटी नहीं कि तब भी राहुल उनके लिए सी.एम. की कुर्सी जुटा पाएंगे, जिस पर अर्से से उनकी नजरें टिकी हुई हैं। यही वजह रही कि प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब दौरे के दौरान सिद्धू के कसीदे गढऩे शुरू किए और दोनों नेताओं को मिलाने की कोशिशें शुरू कीं तो सिद्धू भी तुरंत राजी हो गए। कैप्टन-सिद्धू मुलाकात के अगले ही दिन मुख्यमंत्री कार्यालय से पै्रस विज्ञप्ति जारी हुई थी, उसमें उनके हवाले से स्पष्ट लिखा गया था कि उन्होंने सिद्धू द्वारा उनके साथ मुलाकात बारे दिलचस्पी जाहिर करने के बाद लंच पर उन्हें बुलाया था। ऐसे में गेंद एक बार फिर से कैप्टन के पाले में ही है। वह इसी साल सिद्धू को मंत्री बनाते हैं या अगले साल, इसकी खबर केवल उन्हीं को है। इतना तय है कि जब भी सिद्धू की वापसी होगी, उनके सुर और अंदाज अब बदले नजर आएंगे। वह पूर्व की तरह अमरेंद्र के प्रति आक्रामक रुख से शायद गुरेज ही करेंगे।

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