Edited By Subhash Kapoor,Updated: 03 Nov, 2024 11:20 PM
खाने पीने की वस्तुओं की जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली काफी संदिग्ध रही। त्योहारों के दिनों में एक दो बड़ी कार्रवाइयां कर और छोटी-मोटे सैंपलिंग से स्वास्थ्य विभाग की चार फुड सेफ्टी अफसरों पर आधारित टीम ने लोगों के जन सेहत के मुद्दे को...
लुधियाना (सहगल) : खाने पीने की वस्तुओं की जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली काफी संदिग्ध रही। त्योहारों के दिनों में एक दो बड़ी कार्रवाइयां कर और छोटी-मोटे सैंपलिंग से स्वास्थ्य विभाग की चार फुड सेफ्टी अफसरों पर आधारित टीम ने लोगों के जन सेहत के मुद्दे को नजरअंदाज कर व्यापक सैंपलिंग करने की बजाय खानापूर्ति करने का काम किया। इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग के फूड विंग की कार्यशैली देखी जाए तो दीपावली के दिनों में दूसरे प्रदेशों से दूध से बने उत्पाद भारी मात्रा में आते रहे। एक दो मामलों में स्वास्थ्य विभाग ने धर पकड़ भी की परंतु अधिकतर मामलों में अपनी आंखें बंद रखी। फूड विंग की टीम ने बस स्टैंड के पास एक बस में से खोये की भारी खेप बरामद की परंतु बाद में जांच की रिपोर्ट से पहले ही कह दिया गया कि खोये का स्टॉक ठीक है और खानापूर्ति के नाम पर एक दो सैंपल ले लिए गए। उल्लेखनीय है कि त्योहारों के दिनों में एक भी फूड सैंपल की डिटेल सार्वजनिक नहीं की गई। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर एक और जांच शुरू हो सकती है।
साधनों की कमी का बनाते हैं बहाना
जिले में फूड सैंपलिंग में कमी का कारण कार्यालय में साधनों की कमी बताई जाती है जिसमें फूड बैंक की टीम के पास एक ही वाहन उपलब्ध कराया गया है और एक समय में एक फूड सेफ्टी अफसर उसका इस्तेमाल कर सकता है जबकि शेष तीन कार्यालय में बैठे रहते हैं। जबकि एक साथ सभी मिलकर भी सैंपलिंग कर सकते हैं। लोगों का कहना है कि जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की टीमे त्योहारों के दिनों मे व्यापक सैंपलिंग करती है तो 4 फूड सेफ्टी अफसर ऐसे कार्य को अंजाम क्यों नहीं दे सकते। फिर इसके लिए वह अपनी गाड़ी या टैक्सी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं या त्योहार के दिनों में विभाग को फूड सेफ्टी अफसर को अतिरिक्त वाहन उपलब्ध करने के वैकल्पिक साधन भी उपलब्ध करा देने चाहिए।
स्वास्थ्य अधिकारियों के नाम पर एजेंटो ने मचाया कहर
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार पिछले कई वर्षों से एक बिना डिग्री का कथित डॉक्टर बाजार में काफी सक्रिय दिखाई दिया और कार्यालय में भी इसका आना-जाना अक्सर देखा जा सकता है। यह व्यक्ति लोगों के लाइसेंस बनवाने का भी काम करता है और उसके बदले में फूड बिजनेस ऑपरेटर से भारी फिर फीस वसूल करता बताया जाता है। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों को यह निर्देश है कि वह स्वयं लोगों को इस मामले में जागरूक करें और उनके फूड लाइसेंस बना कर दे। इसके अलावा एक ब नाम का एजेंट भी बाजार में काफी एक्टिव रहा जिसके पीछे पॉलीटिकल बैकग्राउंड बताई जाती है। प्रत्यक्ष में यह व्यक्ति चंडीगढ़ में काम करता है परंतु शहर का निवासी होने के कारण त्योहारों के दिनों में उसे छुट्टी दिलवा कर वसूली के काम में लगाया जाता है।
ड्रग विभाग भी नहीं करता जांच
स्वास्थ्य विभाग का सक्रिय एजेंट होने के कारण बिना डिग्री के कथित डॉक्टर जो एजेंट के रूप में कई वर्षों से सक्रिय है, ड्रग विभाग भी इस व्यक्ति की डिग्री की जांच करने कभी नहीं गया और इसके व्यापक संपर्कों के कारण कोई कार्रवाई करने से हिचकिचाता रहा है।