Edited By Sunita sarangal,Updated: 21 Feb, 2020 10:29 AM
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम व इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट में पिछले वर्षों से चल रहा शह-मात का खेल
जालंधर(चोपड़ा): डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम व इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट में पिछले कई वर्षों से शह-मात का खेल खेला जा रहा है, जहां फोरम लगातार विभिन्न मामलों में ट्रस्ट चेयरमैन के अरैस्ट वारंट पुलिस कमिश्नर की मार्फत निकाल रहा है वहीं चेयरमैन भी बेफ्रिक होकर फोरम के गिरफ्तारी के आदेशों को हर बार ठेंगे पर रखते आ रहे हैं। इंसाफ की आस लेकर फोरम तक पहुंच करने वाले कंज्यूमर खासे निराश हो रहे हैं।
आखिरकार फोरम के आदेशों को न तो पुलिस कमिश्नर कार्यालय कोई तवज्जो दे रहा है और न ही चेयरमैन इनकी कोई परवाह कर रहे हैं। यूं तो चेयरमैन करीब रोजाना कार्यालय में मौजूद होते हैं परंतु पुलिस कमिश्नर की मार्फत फोरम में दी रिपोर्ट में अक्सर यही लिखा जाता है कि चेयरमैन को पकड़ने पुलिस इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय गई थी परंतु वह वहां नही आए।
ऐसे ही एक हैरानीजनक मामले में फोरम को पेश की गई नई रिपोर्ट में बिल्कुल ऐसे ही शब्द लिखे गए हैं जिसमें ट्रस्ट चेयरमैन के 20 बार एक ही केस में अरैस्ट वारंट जारी किए जा चुके हैं। फोरम ने भी अपनी डगर पर चलते हुए ट्रस्ट चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के पुलिस कमिश्नर की मार्फत नए अरैस्ट वारंट जारी करते हुए केस की अगली सुनवाई 11 मार्च निर्धारित की है।
यह है मामला : अलॉटी को 13 सालों में नहीं मिला प्लाट का कब्जा, बैंक से कर्जा लेकर ट्रस्ट को दिए थे 7.50 लाख रुपए
यह गिरफ्तारी वारंट 70.5 एकड़ महाराज रणजीत सिंह एवेन्यू स्कीम के प्लाट नं. 143 की अलॉटी रजनी रानी पत्नी जोगिन्द्र पाल बस्ती दानिशमंदां से संबंधित है जिसे ट्रस्ट ने 2007 में 150 गज का प्लाट अलाट किया था। अलॉटी ने स्टेट बैंक आफ पटियाला से कर्ज लेकर ट्रस्ट को प्लाट की 7.50 लाख रुपयों की पेमैंट की थी। इस प्लाट में 3 वर्ग गज जमीन अधिक निकली जिसको लेकर ट्रस्ट ने अलॉटी से 15600 रुपया अधिक जमा करवाया परंतु फिर भी प्लाट का कब्जा नही सौंपा। कब्जा न मिलने के बावजूद ट्रस्ट अधिकारियों ने अलॉटी को सब्जबाग दिखा कर उससे 22,950 नान कंस्ट्रक्शन चार्जिज भी वसूल लिए। 23 फरवरी, 2012 को जब अलॉटी ने ट्रस्ट से नो ड्यू सर्टीफिकेट मांगा तो ट्रस्ट ने सर्टीफिकेट देने से इंकार कर दिया।
ट्रस्ट के कई वर्ष तक धक्के खाने के बाद अलॉटी ने 17 मई, 2013 को डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में ट्रस्ट के खिलाफ केस दायर किया। फोरम ने 11 मार्च, 2014 को अलॉटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट को आदेश दिए कि वह 30 दिनों में अलॉटी को प्लाट का कब्जा देने के अलावा 9 प्रतिशत ब्याज दे। अगर 30 दिनों में कब्जा न दिया तो 1 लाख रुपया अतिक्ति मुआवजा दिया जाए। ट्रस्ट ने इस फैसले के खिलाफ स्टेट कमीशन में अपील डाली परंतु वह डिसमिस हो गई जिसके उपरांत अलॉटी ने 7 जुलाई, 2014 को जिला उपभोक्ता फोरम में एक्सीक्यूशन फाइल की जिसके बाद अरैस्ट वारंट जारी होने का जो सिलसिला चला वह आज तक बदस्तूर जारी है। अब देखना है कि इस शह-मात के खेल में फोरम कंज्यूमर के अधिकार सुरक्षित रख पाता है या ट्रस्ट चेयरमैन फोरम के आदेशों को मात देने में सफल हो पाता है।