आखिर बीबी जागीर कौर क्यों नहीं बन सकी शिरोमणि कमेटी की अध्यक्ष?

Edited By Vatika,Updated: 28 Nov, 2019 10:35 AM

why bibi jagir kaur could not become the president of shiromani committee

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद पर आज पुन: गोबिन्द सिंह लौंगोवाल का चयन कर लिया गया। अकाली हलकों में यह माना जा रहा है कि आखिर शिरोमणि कमेटी की पूर्व अध्यक्षा बीबी जागीर कौर एक बार फिर से शिरोमणि कमेटी की अध्यक्ष बनने से क्यों वंचित...

चंडीगढ़र (ब्यूरो): शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद पर आज पुन: गोबिन्द सिंह लौंगोवाल का चयन कर लिया गया। अकाली हलकों में यह माना जा रहा है कि आखिर शिरोमणि कमेटी की पूर्व अध्यक्षा बीबी जागीर कौर एक बार फिर से शिरोमणि कमेटी की अध्यक्ष बनने से क्यों वंचित रह गई? माना जा रहा है कि इसके पीछे सर्वोच्च अकाली नेतृत्व में बीबी जागीर कौर को लेकर चल रही कुछ भ्रांतियां जिम्मेदार बताई जा रही हैं।

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श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर सुल्तानपुर लोधी में हुए धार्मिक समागमों की जिम्मेदारी अकाली नेतृत्व ने बीबी जागीर कौर को सौंपी हुई थी। बताया जाता है कि केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने श्री सुल्तानपुर लोधी में लगवाई गई प्लेट पर अधूरा मूलमंत्र लिखवा कर लगवा दिया था, जिसका उद्घाटन हरसिमरत बादल ने किया था। अकाली हलकों के अनुसार जब प्लेट पर लिखे गए अधूरे मूलमंत्र को बीबी जागीर कौर ने देखा तो उन्होंने तुरन्त अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा के साथ बातचीत की। चीमा ने यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के सामने उठाया। उन्होंने बादल से कहा कि अधूरी नेम प्लेट को तुरंत बदला जाए अन्यथा इसे बेअदबी समझ कर विरोधी मामले को उठा लेंगे।
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बादल के कहने पर अधूरी प्लेट को बदला गया तथा नई प्लेट लगाई गई। इस बात की भनक जब हरसिमरत बादल को हुई तो वह बीबी जागीर कौर को लेकर अंदरखाते ईष्र्या रखने लगी। इसी तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब श्री सुल्तानपुर लोधी में गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए आए थे तो उन्होंने बीबी जागीर कौर को हरसिमरत कौर बादल के मुकाबले अधिक सियासी व धार्मिक भाव दिया था। इससे भी हरसिमरत बादल बीबी जागीर कौर से ईष्र्या रख रही थीं। मोदी ने तो सुल्तानपुर लोधी में 2-3 मिनट तक बीबी जागीर कौर से बातचीत भी की थी, जिसका सीधा प्रसारण राष्ट्रीय चैनलों पर चलता रहा। इसी प्रकार संत बलबीर सिंह घुन्नस के नाम पर भी सहमति इसलिए नहीं बनी क्योंकि वह अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के निकट समझे जाते हैं। पूर्व मंत्री तोता सिंह की भी ढींडसा से नजदीकियां बताई जाती हैं। लौंगोवाल का पुन: चयन हो जाने के बाद अब अकाली दल के अंदर आंतरिक जंग और तेज हो जाने की संभावना बताई जा रही है। 

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