यह कैसी है मुहिम..जिसकी विभाग को खबर नहीं

Edited By Urmila,Updated: 29 May, 2023 05:46 PM

what kind of campaign is this whose department is not aware

जी.सी.टी. विभाग ने जाली कंपनियां बनाकर बोगस बिलिंग करने वाले लोगों पर शिकंजा कसते हुए 2 महीने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया हुआ है।

लुधियाना (धीमान): जी.सी.टी. विभाग ने जाली कंपनियां बनाकर बोगस बिलिंग करने वाले लोगों पर शिकंजा कसते हुए 2 महीने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया हुआ है लेकिन अधिकारियों का ध्यान अभी तक उन लोगों पर नहीं गया जो बगल में बैठकर रोजाना करोड़ों की बोगस बिलिंग कर रहे हैं। इन लोगों के बारे में अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं और उन्हें पकड़ने की हिम्मत इसलिए नहीं दिखा पाते, क्योंकि उनकी हर मांग को पूरा करने में यह लोग सक्षम है। इस मुहिम की सच्चाई जानने के लिए जब पंजाब केसरी की टीम दुगरी रोड पर गई तो वहां अधिकतर दुकानदार आटो पार्ट्स का बिल काटते हुए नजर नहीं आए।

इसी तरह गिल रोड पर हार्डवेयर का सामान बेचने वाले भी बिल नहीं देते। सबसे ज्यादा कमाई पक्खोवाल रोड पर बैठे प्लाईवुड, सैनेटरी और टाइलों को बेचने वाले ही बिना बिल के जमकर बिक्री कर रहे हैं। इसके अलावा साइकिल बनाने वालों की बाढ़-सी आ गई है। यह सब गिल रोड स्थित अपने अड्डे लगाकर साइकिल बेच रहे हैं। लेकिन सारा माल बिना बिल के ही बेचा जा रहा है।

इसी तरह शहर के बाजारों में हौजरी व धागा का माल भी बिना बिल के ही बेचा जा रहा है। स्टील बेचने वालों के हौसले इतने खुल चुके हैं कि एक रुपए का माल न तो वह बिल से खरीदते हैं और न ही बेचते हैं। उक्त सभी आइटम के बिल जिन पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. है वह बिल बाजार से औसतन 5 से 8 प्रतिशत तक मिल जाते हैं। यानी लोहा खरीदने वालों को हौजरी उत्पाद बेचने वाला बिल काट रहा है और लोहे वाला प्लास्टिक आइटम बेचने वालों को बेच रहे हैं।

मुहिम एक आईवाश है जो सही टैक्स अदा करने वालों को परेशान करने के लिए शुरू की गई है। ऐसा कारोबारी खुलकर बोलना शुरू हो गए हैं। ऑल इंडिया ट्रेड फोरम के प्रधान बदीश जिंदल कहते हैं कि उन्होंने ऐसे लोगों के बारे में विभाग को कई बार नाम समेत शिकायत दर्ज करवाई है लेकिन अधिकारियों ने इन पर आज तक अपनी रहमत ए-नजर ही बनाकर रखी हुई है।  इन दुकानदारों की जांच कर ली जाए तो करोड़ों का टैक्स विभाग को आ सकता है। साइकिल बनाने वालों की शिकायत तो सैंकड़ों बार की गई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही है।

कैसे बेचते हैं बिल

रिटेल में सामान खरीदने वालों को बिल नहीं दिया जाता। हर रोज शाम को दलाल इन दुकानदारों से विभिन्न नामों से 5 से 8 प्रतिशत की दर पर बिल ले लेते हैं और वह अपना एक से दो प्रतिशत कमीशन जोड़ बिल बेच देते हैं। यानी बिल लेने वाला जाली परचेज दिखाकर विभाग से रिफंड भी क्लेम कर लेता है। स्टील बेचने वाले तो 6 प्रतिशत में भी बिल बेच रहे हैं। जिन कंपनियों का दूर-दूर तक स्टील से कोई मतलब नहीं वह भी अपनी सालाना रिटर्न में स्टील की परचेज दिखाकर टैक्स चोरी कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

इस बारे में जब डी.ई.टी.सी. रंधीर कौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने के लिए टीमें तैयार कर ली गई है। जो भी लोग गलत तरीके से बिल खरीदकर रिटर्न भरेंगे, साबित होने पर उनके तुरंत प्रभाव से नंबर सस्पैंड कर दिया जाएगा।

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