VVIP ट्रीटमेंट मामला: मुख्यमंत्री के पास पहुंची अंसारी की रिपोर्ट, अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

Edited By Urmila,Updated: 19 Apr, 2023 04:50 PM

vvip treatment case ansari s report reached to the chief minister

रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है।

जालंधर (नरेन्द्र मोहन ): मुख्तार अंसारी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार जेल में बंद आरोपी अंसारी को वी.वी.आई.पी. सहूलियतें दी जाती थी जिसे लेकर मामला गरमा गया है। ए.डी.जी.पी. लेवल के अधिकारियों की अगुवाई में जांच रिपोर्ट तैयार की गई है जो मुख्यमंत्री को भेज दी गई है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार वी.वी.आई.पी. सहूलियतें देने में जेल अधिकारियों पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। जब ये रिपोर्ट खुलेगी तो कई बड़े खुलासे होने की संभावना है। कई अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना भी है।

पंजाब सरकार की मुख्तार अंसारी मामले में जांच करीब-करीब मुकम्मल होने पर है। पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान पंजाब की जेल में वी.आई.पी. कैदी के रूप में रहे अंसारी की पैरवी पर खर्च किए 49.50 लाख रुपए मामले की जांच पंजाब पुलिस के एक ए.डी.जी.पी. आर.एन. ढोके कर रहे है। सूत्र बताते है कि इस मामले में पंजाब के पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ-साथ कुछ बड़े लोग भी जांच की राडार पर है जबकि पंजाब जेल में रहते अंसारी की सेवा में शामिल रहे जेल अधिकारियों के विरुद्ध कारवाई की सिफारिश तो पंजाब सरकार द्वारा गठित कमेटी ने ही कर दी है।

पूर्व में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार में अंसारी को एक कथित फर्जी मामले में ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया था। गैंगस्टर से राजनेता बना अंसारी पंजाब की रूपनगर जेल में जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 तक रहा। इस जेल में उसे वी.वी.आई.पी. स्तर की सुविधाएं दी गई। पंजाब विधान सभा में राज्य सरकार के जेल मंत्री रहे बैंस ने तो ये आरोप भी लगाया है कि अंसारी और उसकी पत्नी सभी ऐशों आराम से यहां रहते आए थे। राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद भगवंत मान सरकार ने मुख्तार अंसारी की पैरवी पर खर्च और वकील दुष्यंत ए दवे को दिए जाने वाली 49.50 लाख रूपए की राशी की अदायगी पर रोक लगा दी थी और इस मामले की जांच करवाने को कहा था। जांच के लिए पहले ये मामला होम ब्रांच-7 के पास था , बाद में इसे होम ब्रांच -4 के पास भेजा गया और मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जांच का कार्य ए.डी.जी.पी. आर.एन. ढोके को दे दिया गया।

इस मामले में आरोप थे कि अंसारी के कांग्रेस के केंद्रीय नेतायों से सम्बन्ध थे और कांग्रेस के आला नेतायों के निर्देश पर अंसारी को पंजाब की जेल में लाया गया। जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी  तभी अंसारी के विरुद्ध पंजाब के मोहाली के एक बिल्डर से दस करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का मामला दर्ज किया गया था और उसे इसी मामले में ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया था। दिलचस्प बात ये भी है कि पुलिस ने उसका चालान भी नहीं पेश किया था। उत्तर प्रदेश में विभिन्न मामले में वांछित अंसारी को वापिस लाने के लिए योगी सरकार ने पंजाब को 25 रिमाइंडर भेजे थे , लेकिन पंजाब सरकार ने परवाह नहीं की बल्कि उसे कानूनी सुरक्षा और सहयोग देने के लिए पंजाब सरकार ने अंसारी के लिए वरिष्ठ वकील दुष्यंत ए दवे को किया था जिसमे में वकील दवे ने पांच पेशियों  25 जनवरी , 2021, 8 फरवरी, 2021, 17 फरवरी , 2021, 3 मार्च, 2021 और 4 मार्च , 2021 की पेशी का 49.50 लाख रुपए का बिल बना पर पंजाब सरकार को भेजा था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर पंजाब को अंसारी को उत्तर पुलिस के पास सौंपना पड़ा।

सी.एम. भगवंत मान सरकार ने जेल मंत्री रहे ( अब शिक्षा मंत्री ) हरजोत सिंह बैंस ने अंसारी के मामले में प्राथमिक जांच करवाई थी और इसकी एक रिपोर्ट तैयार की थी  जिसका खुलासा उन्होंने पंजाब विधान सभा में किया था। इस प्राथमिक जांच में उन्होंने आरोप लगाए थे कि अंसारी को वी.वी.आई.पी ट्रीटमेंट दिया गया था लेकिन उसे बचाने पर खर्च हुई राशि पंजाब के लोगों के टैक्स से दी गई राशि में क्यों खर्च की जाए। इस मामले में ए.डी.जी.पी. की जांच दो पहलुओं को लेकर हुई , जिसमे एक पहलू ये था कि इस मामले में राजनीतिक लोग कौन-कौन थे । संभवतः सरकार का इशारा कांग्रेस के दिल्ली बैठे बड़े नेतायों की तरफ था। इस मामले का दूसरा पहलू जेल अधिकारी थे  जिन्होंने न तो चालान पेश किया और इसके साथ-साथ अंसारी को खुली छूट दी। इस प्रकरण में जेल अधिकारियों के विरुद्ध तो जांच मुकम्मल हो चुकी है  जिसमे कई जेल अधिकारियों को दोषी माना गया है जबकि इस मामले का कांग्रेस से जुड़ा राजनीतक लिंक कितना ऊपर तक था , इसका निष्कर्ष भी लगभग आने वाला है। सूत्र बताते है कि इस मामले में पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत दिल्ली के नेता भी रडार पर है। सूत्र ये भी बताते है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए ये मामला परेशानी भरा बन सकता है।

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