फिर बढ़ने लगा ट्रांसपोर्ट टैक्स माफिया का दबाव, अधिकारियों के इंफॉर्मेशन साधन कमजोर

Edited By Tania pathak,Updated: 06 Dec, 2020 10:13 AM

transport tax mafia pressure increases again

एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग में चैकिंग की कमी होने के कारण कई बंद हो चुकी दो नंबर में काम करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियां दोबारा शुरू हो गई है

अमृतसर (इन्द्रजीत): एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग में चैकिंग की कमी होने के कारण कई बंद हो चुकी दो नंबर में काम करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियां दोबारा शुरू हो गई है, पिछले समय में विजीलैंस के बने दबाव के बाद जहां कई 2 नंबर में काम करने वाले ट्रांसपोर्टर या तो अपना काम बंद कर चुके थे और यह पक्के पर काम करने लगे थे, लेकिन कुछ समय से यह लोग दोबारा अपने अस्तित्व में आकर बेधड़क होकर बिना बिल के माल ला रहे हैं। अमृतसर के स्थानीय भक्तों वाला गेट और दाना मंडी के निकट कई ट्रांसपोर्ट कंपनियों का अब फिर अस्तित्व बढऩे लगा है। 

जानकारी के मुताबिक बिना बिल माल मंगवाने में विख्यात हुआ शहर का बड़ा ट्रांसपोर्टर अभी जो पिछले समय में अपना काम समेटने लगा था, क्योंकि विभागीय सख्ती के कारण उन्हें अपने रास्ते बदलने पड़ गए थे। इसी बीच पूरे पंजाब में विजीलैंस विभाग की भारी दबिश के बावजूद लुधियानें का एक पासर दो नंबर का माल लाने के लिए अमृतसर की कमान संभाल बैठा है, उसके निर्देश और सेटिंग के कारण दिल्ली से अमृतसर बिना बिल के बेरोक-टोक माल आ रहा है।  

ट्रांसपोर्टर के कामकाज का अंदाज देखा जाए तो यदि फोरम में आ गया तो आने वाले चंद ही महीनों में वह दो नंबर के पूरे टैक्स माफिया साम्राज्य का बेताज बादशाह हो जाएगा। अभी से आसार बता रहे हैं कि जिस कीमत से उक्त ट्रांसपोर्टर प्रति नग की वसूली कर रहा है। उससे आने वाले समय में उसके पूरे कंपीटीटरों में घबराहट आने लगी है। दो नंबर के माल का इस समय माॢकट में रेट पहले दिनों में 800 से 12 सौ रुपए चल रहा था, लेकिन लुधियाना के पासर के निर्देशन में चल रहा अमृतसर का ट्रांसपोर्ट अब 400 से 500 प्रति नग की वसूली ले रहा है। इसी कारण दो नंबर का कारोबार शहर में बढऩे लगा है।  

विभागीय अधिकारियों के इंफॉर्मेशन साधन है कमजोर !
जहां पर विभागीय दबाव का प्रशन है तो वास्तविकता यह है कि टैक्सेशन विभाग के अधिकारी टैक्स चोरों पर लगाम लगाने के लिए सक्षम ही नहीं है। विभाग को जानकारी देने वाले लोग भी अब विभाग से पिछड़ गए हैं, क्योंकि विभागीय लोग टैक्स माफिया के सामने जानकारी देने वाले का नाम भी उजागर कर देते हैं। यही कारण है कि माफिया के डर के कारण इनफॉर्मर अब विभाग को जानकारी देने से घबराते हैं। वही इनफॉर्मर अब टैक्स माफिया के लिए काम करने को तैयार हो गए हैं जो आने वाले समय में टैक्सेशन विभाग के लिए एक बड़ी खतरे की घंटी है।

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