Edited By Tania pathak,Updated: 18 Oct, 2020 02:26 PM

ऐसा ही एक किसान तरनतारन का कुलदीप सिंह है, जिस ने एक नई मिसाल कायम की है। यह किसान अपने इलाके का एक...
भिक्खीविंड (सुखचैन / अमन): आज के पंजाब में फसलों की पराली को जलाने का रुझान बढ़ता जा रहा है। इसको रोकने के लिए पंजाब सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से काफ़ी कदम भी उठाए जा रहे हैं। इसी रुझान दौरान कुछ ऐसे किसान भी हैं जो कि काफ़ी लंबे समय से प्रामि में आग न लगा कर फसलों का अच्छा झाड़ प्राप्त करके चोखी कमाई कर रहे हैं।
ऐसा ही एक किसान तरनतारन का कुलदीप सिंह है, जिस ने एक नई मिसाल कायम की है। यह किसान अपने इलाके का एक प्रगतिशील किसान है, जो कि अपने 100 एकड़ में अलग-अलग तरह की खेती जैसे कि गेहूँ, धान की फ़सल, बासमती, आर्गेनिक सब्जियाँ, बाग़बानी, मेडिसनल पौधे, एग्रो फोरैस्टरी करता है।
किसान के मुताबिक फसलों की अवशेष को खेतों में प्रयोग कर उसके खेतों का आर्गेनिक मात्रा काफ़ी बढ़ गया है, जिस के साथ वह लगभग 2 क्विंटल प्रति एकड़ झाड़ अधिक ले रहा है। अवशेष को आग न लागाने के कारण खेतों में मित्र कीड़े जिंदा रहते हैं जो कि हानिकारक कीड़ों को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। इसलिए यह किसान बहुत ही थोड़ी मात्रा में कीटनाशक दवाएँ सल्फर, ज़िंक और ओर आर्गेनिक खादों का प्रयोग करता है, जिसके साथ खेती की लागत में काफ़ी कम खर्चा आता है।
इस किसान ने अपने इलाके के दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है कि खेती साथ-साथ सहायक धंधों को अपना कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह किसान फ़सली विभिन्नता को अपनाते हुए गेहूँ -धान की जैविक खेती साथ-साथ चने, दालें और सब्जियों की काश्त करता है। कुलदीप सिंह विभागों के साथ जुड़ कर प्रशिक्षण कैंपों एक्सपोजर प्रदर्शनियों के जरिए किसानों को पराली न जलाने के लिए भी प्रेरित करते रहते है।