कृषि प्रधान राज्य पंजाब में बढ़ रहे हैं किसानों के सुसाइड केस

Edited By Sunita sarangal,Updated: 15 Jan, 2020 02:21 PM

suicide cases of farmers are increasing in agrarian state of punjab

कृषि प्रधान राज्य में पिछले कुछ वर्षों में किसानों की आत्महत्या में वृद्धि हुई है।

जालंधर: कृषि प्रधान राज्य में पिछले कुछ वर्षों में किसानों की आत्महत्या में वृद्धि हुई है। जबकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा बीते शनिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में होने वाली किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों में गिरावट देखी गई है।
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NCRB सांझा नहीं कर रहा है आंकड़े
इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में पूरे भारत में 10,349 किसानों ने आत्महत्या की। एन.सी.आर.बी. के अनुसार साल 2016 में 11,379 किसानों ने आत्महत्या की। साल 2017 में कोई आंकड़े जारी नहीं किए गए। ब्यूरो ने 2018 के लिए किसानों की आत्महत्या के राज्यानुसार आंकड़ों को सांझा करने से मना कर दिया है। हालांकि, राज्य सरकार और किसान यूनियनों द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि 2017 और 2019 के बीच आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 2016 की तुलना में बहुत अधिक है।

किसान यूनियन ने जुटाया डाटा
भारतीय किसान यूनियन (उग्राहन) द्वारा संकलित किसानों की आत्महत्या रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में 370, 2018 में 536 और 2019 में 501 किसानों ने आत्महत्या की। बीकेयू नेता (संगरूर) सुखपाल कनकवाला ने कहा कि उनका डाटा विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित आत्महत्याओं की रिपोर्ट पर आधारित था। उन्होंने कहा, "आत्महत्या करने वालों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि कर्ज में डूबे सभी किसानों की आत्महत्या को कागजी तौर पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है।" हालांकि, राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा संकलित डाटा के अनुसार अप्रैल 2017 और दिसंबर 2019 के बीच 452 किसानों ने आत्महत्या की है। सरकार ने उनके परिवार को 3 लाख प्रति परिवार मुआवजा भी दिया है। किसानों द्वारा की गई आत्महत्या का डाटा हालांकि बहुत अधिक हो सकता है, और इसकी जांच भी हो सकती है।
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सरकार ने मांगा NCRB से डाटा 
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार कृषि संकट के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों और 2013 से फरवरी 2017 के बीच मुआवजा लेने वाले परिवारों की संख्या 309 से भी कम थी। कृषि सचिव के.एस. पन्नू ने बताया कि एन.सी.आर.बी. ने किसान आत्महत्या के राज्यानुसार आंकड़े साझा नहीं किए हैं, इसलिए वे स्वयं ही उनसे डाटा की मांग करेंगे। उन्होंने कहा, "यह हमारी नीतियों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करता है। किसानों की परेशानी से निपटने के लिए हमारे पास एक दृष्टिकोण हो सकता है।

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