कलानौर के बाबा कार स्टेडियम में नौजवानों ने बनाया रेन वाटर हार्वैस्टिंग सिस्टम

Edited By swetha,Updated: 22 Jul, 2019 09:19 AM

rainwater harvesting

:जिला गुरदासपुर के छोटे से कस्बे कलानौर का बाबा कार स्टेडियम पिछले साल तक पानी की निकासी न होने से बरसात के दिनों में तालाब का रूप धारण किए रहता था।  मगर इस साल बरसात के दिनों में भी खेलों में रुचि लेने वाले नौजवान स्टेडियम में बिना बाधा खेल रहे हैं।

गुरदासपुर(रोहित):जिला गुरदासपुर के छोटे से कस्बे कलानौर का बाबा कार स्टेडियम पिछले साल तक पानी की निकासी न होने से बरसात के दिनों में तालाब का रूप धारण किए रहता था।  मगर इस साल बरसात के दिनों में भी खेलों में रुचि लेने वाले नौजवान स्टेडियम में बिना बाधा खेल रहे हैं। यही नहीं, पूरा बरसाती पानी बिल्कुल शुद्ध होकर भूमि के नीचे पहुंच रहा है। यह सरकार की स्टेडियम के लिए बनाई गई किसी योजना के कारण संभव नहीं हुआ है बल्कि गांव के नौजवानों के प्रयास एवं कुछ एन.आर.आइज के सहयोग स्वरूप हो रहा है।     

ऐसे हुई शुरूआत

दरअसल महकप्रीत सिंह बाजवा जो मर्चैंट नेवी में है, को सोशल मीडिया पर मुक्तसर के कुलदीप सिंह धालीवाल के बारे में पता चला जिन्होंने बरसाती पानी को बचाने के लिए एक प्रोजैक्ट तैयार किया था। उन्होंने इसके बारे में अपने गांव के चंचल कुमार अग्रवाल से बात की। चंचल ने धालीवाल से फोन पर बात करके प्रोजैक्ट के विषय में जानकारी हासिल की।  मगर उनकी समस्या धालीवाल के प्रोजैक्ट से हल होने वाली नहीं थी क्योंकि वह प्रोजैक्ट बिल्कुल छोटा था। बहरहाल उन्हें धालीवाल से एक आइडिया मिल गया था। इसके बाद ठेकेदार बलविंद्र सिंह काला तथा प्लम्बर वीर जार्ज के साथ सलाह-मशविरा करके चंचल तथा गांव के कुछ नौजवानों ने प्रोजैक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

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प्रोजैक्ट लगाने को क्या-क्या करना पड़ा

सबसे पहले जे.सी.बी. से स्टेडियम में 13 फुट गहरे तथा अढ़ाई फुट चौड़े 3 गड्ढे खोदे गए। बरसाती पानी निकालने के लिए स्टेडियम के निचले स्तर से भूमिगत पाइपें दोनों गड्ढों तक पहुंचाई गईं। तीसरे गड्ढे में 50 फुट गहरा ट्यूबवैल वाला बोर खोदकर उसमें 6 इंच की पाइप डाली गई। बोर में 20 फुट पर एक फिल्टर डाला गया जबकि एक अन्य फिल्टर इसी तीसरे गड्ढे में 5 फुट की गहराई में डाला गया। इसके अलावा इस गड्ढे में  रेत, कोयले, बजरी, मिक्सचर की 5 मोटी परतें भी डाली गईं ताकि पानी छनकर जमीन के नीचे जाता रहे तथा बोर की पाइप में मिट्टी अथवा अन्य कण न जाने पाएं।

इस तरह काम करेगा यह प्रोजैक्ट 

बारिश के दौरान स्टेडियम में इकट्ठा पानी पाइपों की सहायता से स्टेडियम में बनाए गए 2 गड्ढों में इकट्ठा होगा। दोनों गड्ढों में डाली गई पाइपों की सहायता से पानी धीरे-धीरे कर तीसरे गड्ढे में जाएगा तथा तीसरे गड्ढे में निकाले गए 50 फुट गहरे बोर की पाइप में से होता हुआ जमीन की निचली सतह में समा जाएगा। तीसरे  गड्ढे में जमीन के बाहर खाली छोड़ी गई 6 फुट ऊंची 2 मोटी पाइपों में हवा के कारण बना प्रैशर पानी को तेजी से जमीन में जाने में सहायता करेगा। हाल ही में हुई 2 बारिशों ने साबित कर दिया है कि प्रोजैक्ट बिल्कुल सफल हुआ है। स्टेडियम में भारी बारिश के बावजूद जरा भी पानी नहीं रुका तथा सारा बरसाती पानी इस हार्वैस्टिंग सिस्टम के कारण जमीन में समा गया।

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इन लोगों का मिला सहयोग

चंचल कुमार अग्रवाल के अनुसार इस प्रोजैक्ट में सिवाय बी.डी.ओ. से इजाजत लेने के अलावा कोई भी सरकारी सहायता उन्हें नहीं मिली। 60 हजार की लागत वाले इस प्रोजैक्ट में गांव के कुछ एन.आर.आई. तथा अन्य सहयोगियों ने मदद की। कैप्टन अमरेंद्र सिंह काहलों, हरमन गोराया, सोनू हंजरा, कर्मजीत काहलों, राणा विग तथा गुरप्रीत सिंह साइप्रस के सहयोग से प्रोजैक्ट पूरा हो पाया है मगर विशेष बात यह है कि प्रोजैक्ट के लिए सारी की सारी कार सेवा नौजवानों ने खुद अपने हाथों से की है। अग्रवाल के अनुसार सरकार बरसाती पानी को बचाने का अभियान चलाने के दावे तो बहुत कर रही है मगर यदि ऐसे प्रोजैक्टों की तरफ  जरा-सा भी ध्यान दिया जाए तो परिणाम कुछ अलग ही होंगे।

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