Punjab : शिक्षा विभाग के इन आदेशों का शुरू हुआ विरोध,  AUCT ने खड़े किए कई सवाल

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 18 Jul, 2024 08:02 PM

punjab protests started against these orders of education department

पंजाब सरकार में  उच्च शिक्षा विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर ने यूनिवर्सिटी अधिकारियों और कॉलेज प्रिंसिपलों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि कालेजों के प्रोफेसरों को हर दिन 1 घंटे लाइब्रेरी में बैठकर बुक्स पढ़नी होंगी और इसका रिकॉर्ड बायोमेट्रिक मशीन...

लुधियाना (विक्की) : पंजाब सरकार में  उच्च शिक्षा विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर ने यूनिवर्सिटी अधिकारियों और कॉलेज प्रिंसिपलों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि कालेजों के प्रोफेसरों को हर दिन 1 घंटे लाइब्रेरी में बैठकर बुक्स पढ़नी होंगी और इसका रिकॉर्ड बायोमेट्रिक मशीन द्वारा रखा जाएगा। जिसके बाद इस फैसले का विरोध होना शुरू हो गया है और शिक्षक संगठन एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड कॉलेज टीचर्स (एयूसीटी) पंजाब एंड चंडीगढ़ ने इसे तुगलकी फरमान करार दिया है। दरअसल उच्च शिक्षा विभाग ने विभिन्न कॉलेजों की इंस्पेक्शन पर जाने वाली टीमों और नेक टीमों की रिपोर्ट का हवाला देकर एक उक्त आदेश जारी किया है, जिसमें यूनिवर्सिटी और कालेजों को कहा है कि यह देखने में आया है कि उनके संस्थानों में लाइब्रेरी के प्रयोग का रुझान लगातार कम होता जा रहा है। विभाग ने इस बारे एक विस्तृत आदेश जारी कर 31 जुलाई तक इसकी रिपोर्ट मांगी है। 

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 डिप्टी डॉयरेक्टर के क्या हैं आदेश ?
डिप्टी डायरेक्टर ने उक्त आदेशों में कहा  है कि शिक्षकों के लिए उनके शिक्षण कार्य के अतिरिक्त लाइब्रेरी की अवधि कम से कम एक घंटा निर्धारित की जानी चाहिए। कॉलेजों में शिक्षकों के इस न्यूनतम एक घंटे के रुकने को प्रत्येक शिक्षक के टाइम टेबल में भी दर्शाया जाएगा। शिक्षकों को यह समय लाइब्रेरी के रीडिंग रूम में छात्रों के साथ बिताना होगा और उन्हें उनके सामान्य अध्ययन के अलावा पुस्तकों के चयन में मार्गदर्शन करना होगा। कॉलेज के वाईस प्रिंसिपल सभी शिक्षकों और छात्रों के लिए लाइब्रेरी अवधि के ट्यूटोरियल का ट्युटोरियल इंचार्ज होंगे। हर एक अध्यापक को अपने विषय के अलावा हर सप्ताह लाइब्रेरी में से एक किताब इशू करवाई जाएगी और इसका बुक का रिव्यू तैयार किया जाएगा।  कॉलेज प्रिंसिपल को हर शनिवार दोपहर 2:30 बजे तक रिव्यू की गई किताबों की समीक्षाओं की पेशकारी को स्टाफ मीटिंग में करवाना सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ कॉलेज के सभी अध्यापकों द्वारा लाइब्रेरी का नियमित प्रयोग सुनिश्चित किया जाएगा। लाइब्रेरी रूम में अध्यापक और विद्यार्थियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाई जाए। लाइब्रेरी में विद्यार्थियों के फुटफॉल को भी उचित रूप से दर्ज किया जाएगा और लाइब्रेरियन /टीचर इंचार्ज लाइब्रेरी द्वारा विद्यार्थियों के फुटफॉल की साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

आदेशों के खिलाफ आगे आया एयूसीटी 
एसो.ऑफ यूनाइटेड कॉलेज टीचर्स पंजाब एंड चंडीगढ़  के सचिव प्रो. जसपाल सिंह और प्रवक्ता प्रो. तरुण घई ने  उच्च शिक्षा विभाग के इस पत्र की कड़ी निंदा की है। प्रो. जसपाल ने कहा कि देश के अधिक शिक्षित वर्ग को अब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लाइब्रेरीज़ में पढ़ाया जायेगा, यह शर्मनाक है।

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प्रो. तरुण घई ने कहा कि  यह भी निर्देश दिए गए हैं कि हर शनिवार को कॉलेज प्रिंसिपल 45 मिनट की बैठक कर प्रोफेसरों ने जो पढ़ा है उसकी समीक्षा करेंगे और बाद में इसे डीएचई की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा और फिर विभाग इसकी समीक्षा करेगा और इसके आधार पर प्रोफेसरों की समीक्षा की जाएगी और उसके बाद वार्षिक पदोन्नति मिलेगी। घई ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह उच्च शिक्षा विभाग के  निदेशक के अधिकार क्षेत्र में है? क्या विभागीय कर्मचारी पीएचडी और डी लिट प्रोफेसरों की समीक्षा करने में सक्षम हैं? उन्होंने कहा कि इन नियमों और नीतियों को बनाने का काम यूजीसी और यूनिवर्सिटीज का है और उच्च शिक्षा विभाग का काम सिर्फ इन्हें लागू कर उच्च शिक्षा के मानक को बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि उनके संगठन का मानना है कि शिक्षकों और छात्रों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है लेकिन बायोमेट्रिक मशीनों द्वारा पढ़ने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है। उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री से अपील करता हुए कहा कि उनका विभाग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर निकलकर यूनिवर्सिटीज के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें और ऐसे मनमाने फरमान जारी न करें जिससे शिक्षक वर्ग का मनोबल गिरे।
 

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