भगवंत मान जी! इन Formulas पर गौर कीजिए...ना मुफ्त बिजली की जरूरत ना Shortage

Edited By Vatika,Updated: 16 Apr, 2022 03:13 PM

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आम आदमी पार्टी पंजाब में मुफ्त बिजली की योजना का ऐलान करने जा रही है।

जालंधर(अनिल पाहवा): पंजाब में आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने से पहले बिजली के उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वायदा किया था। सरकार बनने के बाद लगातार उम्मीद की जा रही है कि राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार मुफ्त बिजली के 300 यूनिट की घोषणा जल्द से जल्द करे। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पर यह एक चर्चा का विषय है। पता चला है कि शनिवार को आम आदमी पार्टी पंजाब में मुफ्त बिजली की योजना का ऐलान करने जा रही है। इस नई योजना से पंजाब के खजाने पर करीब 5000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इस फैसले से जहां बोझ पड़ेगा, वहीं बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ सकती है। लेकिन फिलहाल किसी का भी इस तरफ शायद ध्यान नहीं है कि पंजाब में पहले से ही बिजली संकट मंडरा रहा है। पंजाब में अभी तक बिजली की मांग 8000 मैगावाट है और आने वाले कुछ दिनों में जब गर्मी और बढ़ेगी तो मांग 15000 मैगावाट तक पहुंच जाएगी। बढ़ती खपत को काबू करने तथा बिजली की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाना समय की मांग है जिससे सरकार पर बोझ भी न पड़े और बिजली की कमी भी पूरी हो जाए।

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सोलर पैनल सिस्टम
पंजाब में सोलर पावर को प्रोत्साहित करने के लिए आज की तारीख तक सरकारों ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया। कई राज्य सूरज से पैदा होने वाली एनर्जी को प्रोत्साहित करने के लिए बकायदा लोगों को सबसिडी मुहैया करवाते हैं। पंजाब में 3 किलोवाट के सोलर पैनल सिस्टम पर करीब 1 लाख 80 हजार रुपए का खर्च आता है, जिसके कारण लोग इस सिस्टम को लगवाने में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे। अगर राज्य सरकार इस सोलर पैनल सिस्टम पर कुछ अन्य राज्यों की तरह सबसिडी मुहैया करवा देती है तो जहां लोगों को इसका फायदा होगा, वहीं सरकार को भी बिजली व्यवस्था में बड़ी सफलता मिल सकती है। विदेशों में भी कई ऐसे शहर हैं, जहां पर बिजली की ऊंची-लंबी तारें आपको दिखाई नहीं देंगी, जिसका कारण यह है कि वहां की सरकारों ने लोगों को घरों में सोलर पैनल सिस्टम लगवा दिए हैं, जिससे बिजली की खपत पर बड़ा असर पड़ा है। अगर इस तरह की व्यवस्था पंजाब में भी कर दी जाए और लोगों को उत्साहित करने के लिए सबसिडी दी जाए तो जहां पंजाब में बिजली की शार्टेज खत्म होगी, वहीं बिजली की व्यवस्था करने में सरकार की ओर से खर्चे जाने वाले करोड़ों रुपए भी बच जाएंगे।

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बायोमास व्यवस्था
बिजली बनाने वाली कंपनियों से सरकारें जो खरीद करती हैं, उसमें 50 पैसे से लेकर 20 रुपए प्रति यूनिट तक खर्च आता है। पीक समय में जब बिजली की खपत चरम पर होती है और सप्लाई जरूरत से कम होती है तो उस समय प्रति यूनिट भाव 20 रुपए के आसपास तक पहुंच जाता है। पंजाब में बिजली पैदा करने के लिए सरकारों को कोयले पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ता है। दूसरे राज्यों से कोयला मंगवाने के लिए सरकारों को मुशक्कत करनी पड़ती है। अगर कोयले की जगह सरकारें बायोमास चलित थर्मल प्लांट लगाने का प्रबंध कर लें तो कई वर्षों तक हर वर्ष आने वाली कोयले की कमी का झंझट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। बायोमास कृषि से उपजे उस कचरे को कहते हैं, जिसका कहीं प्रयोग नहीं हो पाता। पंजाब में पराली और तूड़ी इसका प्रमुख उदाहरण है। हर साल खेतों में पराली जलाने को लेकर सरकारों और किसानों के बीच में खींचतान होती है, लेकिन अगर इस कृषि उपज के कचरे को पावर प्लांट में प्रयोग करने का प्रबंध कर लिया जाए तो यह काफी राहत भरा होगा। आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में कृषि से निकले बायोमास वेस्ट का लगभग 66 फीसदी हिस्सा अनाज वाली फसलों का होता है। यह कचरा खुले में छोड़ दिया जाता है, जो जमीन और पानी दोनों को प्रदूषित करता है। अगर इस कचरे को आग लगा दी जाए तो उससे प्रदूषण फैलता है, लेकिन इस वेस्ट को अगर ऊर्जा बनाने के लिए प्रयोग किया जाए तो बड़ी राहत मिलेगी।

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मिनी हाइडल प्रोजैक्ट
कुदरत के स्रोत के तौर पर सूरज के बाद पानी भी प्रमुख स्रोत में शामिल है, जिसका प्रयोग ऊर्जा संयंत्रणों में किया जाता है। पंजाब में कई नहरें तथा प्रमुख दरिया हैं, जिन पर बांध बनाकर मिनी हाइडल प्रोजैक्ट लगाए जा सकते हैं, जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। पंजाब में आनंदपुर साहिब, भाखड़ा, गंगूवाल, शनन हाइड्रो प्रोजैक्ट, चुपकी (अबोहर कैनल), मुकेरियां तथा अप्पर बारी दोआब कैनल प्रोजैक्ट काफी समय से चल रहे हैं। इसी के साथ कई और हाइडल पावर प्रोजैक्ट भी पंजाब में शुरू किए गए हैं। अगर इन प्रोजैक्टों की संख्या बढ़ाई जाए और बांध बनाकर पावर प्रोजैक्ट लगाए जाएं तो राज्य को बाहरी राज्यों में जाकर बिजली के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पंजाब में शाहपुर कंडी हाइड्रो प्रोजैक्ट काफी समय से लंबित पड़ा है। बताया जा रहा है कि 2024 तक इसे पूरा किया जाना है। इस प्रोजैक्ट की क्षमता 206 मैगावाट है। इसके अलावा हिमाचल के बरोट में पंजाब का हाइडल प्रोजैक्ट चल रहा है, यह प्रोजैक्ट समझौते के अनुसार 2024 तक पंजाब के पास रहेगा, उसके बाद यह हिमाचल को ट्रांसफर हो जाएगा। एक बेहतर खबर यह भी है कि पाकिस्तान के पास नैचुरल गैस भरपूर मात्रा में है औऱ अगर भारत और पाकिस्तान के बीच दोबारा हालात सामान्य होते हैं तो पंजाब में नैचुरल गैस से चटलने वाला पावर संयत्र लगाया जा सकता है।

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