Online पढ़ाई को लेकर Private Schools की दो टूक, Vaccine लगवाओ और स्कूल भेजो नहीं तो...

Edited By Vatika,Updated: 28 Apr, 2022 02:23 PM

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चंडीगढ़ प्रशासन ने वैक्सीनेशन नहीं करवाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिहाज

चंडीगढ़(आशीष): चंडीगढ़ प्रशासन ने वैक्सीनेशन नहीं करवाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की है। अब सरकारी स्कूलों में 4 मई से उन बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास लगाई जाएगी, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है। वहीं, निजी स्कूल ऐसी व्यवस्था करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। 12 से 18 वर्ष के जिन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें ना स्कूल परिसर में प्रवेश देना चाहते हैं और ना ही ऑनलाइन क्लास के मूड में हैं। उनकी अनुपस्थिति लगाने की तैयारी चल रही है।

इंडिपैंडेंट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष एच.एस. मामिक के अनुसार वैक्सीनेशन ना लगवाने वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास लगाने का कोई विचार नहीं है। अभी ऑनलाइन क्लास लगाएंगे तो आगे परीक्षा भी ऑनलाइन मोड में करवाने पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने बच्चों को कोरोना वैक्सीनेशन के लिए कह रखा है तो टीका लगवाना चाहिए। वहीं, 12 साल से छोटे बच्चों की सुरक्षा पर उन्होंने कहा कि प्रशासन जैसे आदेश जारी करेगा उसके हिसाब से देखा जाएगा। प्रशासन ने अभी तक 12 से 18 वर्ष के वैक्सीनेशन ना करवाने वाले बच्चों की स्कूलों में एंट्री बंद करने का फैसला लिया है। शहर के सरकारी और निजी स्कूलों में हजारों की संख्या में 12 वर्ष से छोटी उम्र के बच्चे भी पढ़ रहे हैं। कोरोना महामारी का खतरा उन्हें भी बराबर है, लेकिन इन बच्चों की ऑनलाइन क्लास के बारे में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

‘बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं कर सकता प्रशासन’
चंडीगढ पेरैंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन गोयल ने शिक्षा विभाग की डायरैक्टर को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सभी स्कूलों को हाइब्रिड मोड में कक्षाएं चलने के निर्देश भी जारी किए जाएं। बिना टीकाकरण वाले बच्चे अपनी कक्षाओं में आनलाइन शामिल हो सकें।   कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन ने 12 से 18 वर्ष की आयु के बिना टीकाकरण वाले ब‘चों के ऑफ लाइन क्लास आने से प्रतिबंधित करने को कहा है। नितिन का कहना है कि स्कूल जाने वाले ’यादातर बच्चे ने अभी तक टीकाकरण नहीं करवाया है जिसके पीछे कारण उनके अभिभावकों में टीकाकरण करवाने में आत्मविश्वास में कमी है। केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि कोविड टीकाकरण अर्निवाय नहीं है। इसलिए अभिभावकों को मजबूर नहीं किया जा सकता। बिना टीकाकरण वाले बच्चों को ऑफलाइन या ऑनलाइन क्लास में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उन्हें शिक्षा से वंचित करने के सामान होगा जबकि संवैधानिक अधिकार के रूप में शिक्षा से वांचित नही किया जा सकता है।

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