पंजाब में लोगों को सांस लेना हुआ मुश्किल, हवा में घुला जहरीला धुआं

Edited By Sunita sarangal,Updated: 13 Nov, 2021 01:56 PM

people in find it difficult to breathe poisonous smoke dissolved in the air

पिछले कई दिनों से राज्य के अंदर धान की कटाई उपरांत पराली को आग लगाने का सिलसिला लगातार जारी है। इस दरम्यिान आबो हवा में इस धुओं के साथ वाहनों का धुआं भी घुल गया है।

पटियाला/रक्खड़ा (राणा): पिछले कई दिनों से राज्य के अंदर धान की कटाई उपरांत पराली को आग लगाने का सिलसिला लगातार जारी है। इस दरम्यिान आबो हवा में इस धुओं के साथ वाहनों का धुआं भी घुल गया है। इस कारण पंजाब के लोगों के लिए सांस लेने में मुश्किल पैदा कर रहा है। इतना ही नहीं कोरोना महामारी की तरह आक्सीजन की कमी वाले हालात बनते जा रहे हैं। चाहे कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और समय की सरकारें वातावरण की शुद्धता के लिए बड़ी-बड़ी ढींगें हांक रही हैं परन्तु स्थिति वैसे की वैसे बनी हुई है। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का हवाला देते हुए पराली को आग लगाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए आदेश जारी किए थे और दूसरी तरफ किसानों ने भी साफ तौर पर पराली को आग लगाने के लिए ऐलान कर दिए थे, जिसकी क्षतिपूर्ति पंजाबियों को सीधे और असीधे तौर पर भुगतनी पड़ रही है।

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इस समस्या के तत्काल हल के लिए समूची सरकार और प्रशासनिक अधिकारी भी बेबस नजर आ रहे हैं। प्रशासन के पास प्रदूषण मापने के यंत्र तो मौजूद हैं परन्तु प्रदूषण घटाने वाले यंत्र नहीं। चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर की आबो-हवा को शुद्ध करने के लिए नई तकनीक वाला टावर लगाया है, जिसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। ऐसे टावर पंजाब के समूचे शहरों अंदर लगाए जाने चाहिएं जिससे पंजाब के निवासी भी शुद्ध हवा में सांस ले सकें।

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52 हजार से अधिक किसानों ने जलाए खेत, संगरूर रहा मोहरी
पिछले एक सप्ताह अंदर राज्यों के 52 हजार से अधिक किसान पराली को आग लगाकर आबो -हवा को खराब कर चुके हैं, जिसमें जिला संगरूर के किसान पराली0 को आग लगाने में आगे रहे। वहीं सूबो के अलग-अलग जिलों अंदर भी पराली को आग लगाने की रिपोर्टें सामने आईं हैं। चाहे दि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से पराली को आग लगाने से रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे परन्तु वोट राज ने समूची स्थिति को खत्म किया हुआ है। इस कारण किसानों की तरफ से पराली को सरेआम आग लगाई गई। चाहे पिछले सालों की अपेक्षा आग लगाने की दर घटी है परन्तु अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है। 

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बठिंडा में 252, पटियाला में 378, संगरूर में 625, पठानकोट में 1, बरनाला में 237, फिरोजपुर में 302, कपूरथला में 39, अमृतसर में 59, साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 12, लुधियाना में 379, होशियारपुर में 9, मोगा में 479, जालंधर में 143, गुरदासपुर में 43, मानसा में 200, श्री मुक्तसर साहिब में 244, फरीदकोट में 119, तरनतारन में 87, शहीद भगत सिंह नगर में 28, फाजिल्का में 111 और मालेरकोटला में 91 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। 

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