Edited By Urmila,Updated: 27 Jun, 2025 11:12 AM
पंजाब के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर पंजाब सरकार सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में बदलाव करने की तैयारी में है।
चंडीगढ़ (अर्चना): पंजाब के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर पंजाब सरकार सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में बदलाव करने की तैयारी में है। स्कूल वाहन के हादसाग्रस्त होने की स्थिति में सिर्फ स्कूल प्रिंसीपल ही नहीं बल्कि स्कूल प्रबंधन समिति को भी जिम्मेदार ठहराने का फैसला लिया जा सकता है। नई सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में यह भी निर्णय लिया जा सकता है कि स्कूल प्रिंसीपल और प्रबंधन समिति तब भी जिम्मेदार रहेंगे, जब दुर्घटनाग्रस्त वाहन की बुकिंग बच्चे के अभिभावकों द्वारा की गई होगी। स्कूल की छुट्टी के समय पीक ऑवर्स के दौरान स्कूल के आस-पास ट्रैफिक को वन वे करने का भी प्रस्ताव है।
ध्यान रहे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के बाद वर्ष 2013 में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ ने सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का गठन किया था। पुरानी नीति में स्कूल वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में अब तक सिर्फ स्कूल प्रिंसीपल को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है और बच्चों के अभिभावकों द्वारा बुक किए गए वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं की जाती थी।
तेज रफ्तार टिप्पर ने स्कूल वाहन को मारी थी टक्कर, 7 बच्चों ने गंवाई जान, बाल आयोग ने की जांच
पटियाला-समाना सड़क पर एक इनोवा कार और टिप्पर के बीच हुई टक्कर के बाद 7 मासूम बच्चों ने जान गंवाई है। यह इनोवा कार बच्चों के अभिभावकों ने बच्चों के स्कूल ट्रांसपोर्ट के लिए खुद बुक करवा रखी थी। ऐसे में पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जब बच्चों के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जांच की तो पाया कि बच्चों को ले जा रही इनोवा कार में सिर्फ 7 बच्चों के बैठने की क्षमता थी जबकि गाड़ी में ड्राइवर ने 14 बच्चों को ठूंस रखा था।
जिस टिप्पर चालक ने इनोवा को टक्कर मारी थी उस 19 वर्षीय टिप्पर चालक के पास न तो ड्राइविंग लाइसैंस था और न ही टिप्पर चलाने का परमिट उपलब्ध था। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामले में कार्रवाई करते हुए पुरानी सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में बदलाव किए जाने के बाबत पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग से सिफारिश की है कि पुरानी वाहन नीति में बदलाव किया जाए और स्कूल प्रिंसीपल के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन समिति को भी जिम्मेदार ठहराया जाए।
पुरानी नीति में बदलाव करेगी 8 सदस्यीय समिति
पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग ने प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2013 की सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में बदलाव का फैसला लिए जाने के बाबत एक 8 सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया है। रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (चंडीगढ़) सचिव के नेतृत्व में गठित समिति में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी जालंधर, रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर पटियाला, डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस के प्रतिनिधि, पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि, पंजाब स्टेट ट्रांसपोर्ट डायरैक्टर के प्रतिनिधि, पंजाब स्वास्थ्य विभाग डायरैक्टर के प्रतिनिधि, पंजाब सड़क सुरक्षा विभाग के प्रतिनिधि को समिति में शामिल किया है। समिति सदस्य एक महीने की अवधि में पुरानी वाहन नीति को आज के समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बदलाव से जुड़े फैसले लेंगे।
ऐसे बनी थी वर्ष 2013 में सुरक्षित स्कूल वाहन नीति
पंजाब में स्कूल वाहन के दुर्घटना का शिकार होने पर वर्ष 2013 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को आदेश दिए थे कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का गठन किया जाए। नीति गठन के बाद वर्ष 2015 में कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों को सुरक्षित स्कूल वाहन नीति की नोडल एजैंसी बना दिया था।
नोडल एजैंसी को नीति और स्कूलों में बच्चों के वाहनों में आवागमन की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी थी। आयोग ने कोर्ट को बाद में बाकायदा संबंधित राज्य के स्कूलों में चलने वाले ठीक और अनफिट वाहनों की फिटनैस संबंधित रिपोर्ट भी सौंपी थी। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बाद में बाकायदा जिला स्तर पर समितियों का भी गठन किया ताकि वह बच्चों सुरक्षित आवागमन का निरीक्षण करती रहें।
पुरानी नीति में संशोधन है जरूरी, बच्चों की जा रही हैं जानें
पंजाब बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कंवरदीप सिंह और डिप्टी डायरैक्टर राजविंद्र सिंह गिल का कहना है कि आयोग ने ट्रांसपोर्ट विभाग से सिफारिश की है कि वह पुरानी वाहन नीति में बदलाव करे क्योंकि स्कूल की बस के हादसे के शिकार होने पर सिर्फ प्रिंसीपल को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है जबकि स्कूल के 15 साल पुराने वाहन में बदलाव करने का अधिकार स्कूल प्रबंधन समिति के पास रहता है। समिति वाहन की गड़बड़ी को गंभीरता से नहीं लेती थी।
पुरानी नीति की वजह से अभिभावकों द्वारा बुक किए गए वाहन की जिम्मेदारी भी स्कूल नहीं लेता था और इस कारण बहुत से स्कूल के बच्चों ने वाहन दुर्घटनाओं में अपनी जानें गंवा दी हैं। समय आ गया है कि नीति में संशोधन किया जाए ताकि मासूम सड़क पर जान न गवाएं। वाहन स्कूल का हो, अभिभावकों ने बुक किया हो या ठेके पर बच्चों के आवागमन में मदद कर रहा हो सबकी जिम्मेदारी स्कूल को ही उठानी होगी ताकि वाहन चालक से लेकर वाहन की फिटनैस पर नजर रखी जा सके। स्कूल की छुट्टी के समय पिक ऑवर्स के दौरान स्कूल के आसपास ट्रैफिक को वन वे करने का भी आयोग ने ट्रांसपोर्ट विभाग को प्रस्ताव सौंपा है।
अनफिट टिप्पर और चालकों पर होगी कार्रवाई
अनफिट टिप्परों और ड्राइविंग लाइसैंस के बगैर वाहन चलाने वाले चालकों पर पंजाब का ट्रैफिक पुलिस विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। पंजाब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समाना सड़क पर हुए हादसों को ध्यान में रखते हुए पंजाब के ट्रैफिक विभाग को ऐसे टिप्पर और चालकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है जो ड्राइविंग लाइसैंस के बगैर ओवरलोडेड वाहनों को तेज रफ्तार में चला कर दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। आयोग का कहना है कि ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाए जिसमें बैठने की क्षमता से ज्यादा लोगों को वाहन में बैठाकर आ जा रहे हैं।
पुरानी नीति में संशोधन को शुरू कर दिया है मंथन
पंजाब ट्रांसपोर्ट विभाग के एडिशनल स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिशनर सुखविंद्र कुमार का कहना है कि सुरक्षित स्कूल वाहन नीति में संशोधन को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जो सिफारिश की है, उस पर मंथन किया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट विभाग ने अन्य विभागों के साथ मिलकर नीति गठन को लेकर विचार विमर्श शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि नई सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का जल्द ही ऐलान किया जाएगा। स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से विभाग पुरानी नीति में बदलाव करेगा।
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