Edited By Urmila,Updated: 08 May, 2022 12:55 PM

न्म के बाद पहले घंटो में मां का दूध पीने वाले बच्चों की रोग के साथ लड़ने की सामर्थ्य बढ़ती है। तीन साल की उम्र तक लगातार इस पौष्टिक दूध का सेवन करने वाले बच्चों का दिमाग, आंखें और शारीरिक विकास ...
चंडीगढ़ (अर्चना): जन्म के बाद पहले घंटो में मां का दूध पीने वाले बच्चों की रोग के साथ लड़ने की सामर्थ्य बढ़ती है। तीन साल की उम्र तक लगातार इस पौष्टिक दूध का सेवन करने वाले बच्चों का दिमाग, आंखें और शारीरिक विकास उन बच्चों के मुकाबलों में तेज रफ्तार के साथ होता है, जो डिब्बे वाला दूध पीते हैं। मां के दूध में पौष्टिक पदार्थ बच्चे के शरीर के लिए वाइट गोल्ड का काम करते हैं परन्तु ऐसे बहुत से नवजात बच्चे होते हैं, जो समय से पहले जन्म ले लेते हैं और उनकी मां हाई रिस्क मदर होने के कारण अपने दुलारे को दूध नहीं पिला सकती। ऐसे बच्चों को मां का पौष्टिक दूध मुहैया करवाने में मदर मिल्क बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस कारण बेदी अस्पताल में उत्तर भारत के पहले ‘ममा मिल्क बैंक’ की शुरुआत की गई है। यह बात ट्राईसिटी के मशहूर बच्चा रोग माहिर डा. विक्रम बेदी ने कही। डा. बेदी ने विशेष बातचीत में बताया कि देश में हर वर्ष 35 लाख बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं और बहुत से बच्चे मां के दूध की कमी कारण जन्म से कुछ घंटों बाद ही मौत की नींद सो जाते हैं। यदि ऐसे बच्चों को मां का दूध पीने के लिए मिलेगा तो उनके शरीर में बीमारियों के साथ लड़ने की ताकत बढ़ेगी और वह भी दूसरे बच्चों की तरह सांस ले सकेंगे।
बच्चा मौत दर को 26 से घटा कर करना है 12: डा. विक्रम बेदी
डा. बेदी ने बताया कि आज देश में बच्चा मौत दर 26/1000 है और विश्व सेहत संगठन का लक्ष्य है कि 2030 तक इस दर को घटा कर 12/1000 लेकर आना है और इसलिए नवजात बच्चों को मां का दूध मुहैया करवाना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि देश में पहले ह्यूमन मिल्क बैंक की शुरुआत 1989 में हुई थी जबकि ब्राजील में 1985 में पहला मिल्क बैंक शुरू किया गया था। ब्राजील में मिल्क बैंकों की संख्या 2000 को पार कर चुकी है परन्तु हमारे देश में सिर्फ 40 मिल्क बैंक ही खुल सके हैं। अध्ययनों की रिपोर्ट कहती है कि ब्राजील में मिल्क बैंकों की संख्या बढ़ने के बाद एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों में 71 प्रतिशत कमी देखने को मिली है। सिर्फ इतना ही नहीं, यू.एस. स्टडी की मानें तो मदर मिल्क बैंक कारण प्रीमैच्योर बच्चों के खर्च में 8000 डालर कम खर्च होते हैं क्योंकि बच्चों को आंख, दिमाग और बीमारी के इलाज पर लगाने नहीं पड़ते। पी.जी.आई., जी.एम.सी.एच.-32 में मिल्क बैंक जरूर हैं परन्तु वहीं मां के दूध को लिक्विड रूप में स्टोर किया जाता है परन्तु ‘ममा मिल्क बैंक’ में मां का दूध पूरे वर्ष के लिए सुरक्षित करने के लिए पाउडर रूप में तबदील किया जाएगा।
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