Edited By Subhash Kapoor,Updated: 27 Jul, 2025 09:56 PM

गत वर्ष अप्रैल माह में सिविल अस्पताल में मरीज को सारी रात एक ही बिस्तर पर मृतक मरीज के साथ लिटाये रखने का मामले पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को 1 अक्टूबर को तलब कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, किस मामले पर कोताही बरतने वाले...
लुधियाना (सहगल): गत वर्ष अप्रैल माह में सिविल अस्पताल में मरीज को सारी रात एक ही बिस्तर पर मृतक मरीज के साथ लिटाये रखने का मामले पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को 1 अक्टूबर को तलब कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, किस मामले पर कोताही बरतने वाले डॉक्टर पर क्या-क्या कार्रवाई की गई। इससे पहले 8 जुलाई को पेशी के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सीनियर असिस्टेंट को भेजा गया जिसे उसे मामले की जानकारी नहीं थ। वह पंजाब स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन के समक्ष समक्ष कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका जिस पर आयोग ने कहा कि इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ किसी जिम्मेदार अधिकारी को भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन सिविल सर्जन डा. जसवीर सिंह औलख ने इस सिलसिले में जांच कमेटी की रिपोर्ट से वह स्वयं भी संतुष्ट ना थे । उन्होंने कहा कि इस मामले में लहापरवाही की अस्पताल की पूर्व सीनियर मेडिकल अफसर के साथ-साथ एक इमरजेंसी मेडिकल अफसर भी है और स्वास्थ्य निदेशक को इस मामले में उचित कार्रवाई करने की सिफारिश की थी परंतु परिणाम ढाक के तीन पात रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद शर्मा ने इस मुद्दे को पंजाब स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन के समक्ष रखा जिस पर कमिशन ने स्वास्थ्य विभाग से जिम्मेवार डॉक्टरो पर एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
गौर तलब है कि मृतक मरीज को एंबुलेंस से 108 द्वारा 9 अप्रैल 2024 को अस्पताल में लाया गया था परंतु कोई परिजन ना आने पर उसका इलाज इस प्रकार चला जैसे वह किसी बूचड़खाने में आ गया हो और इन्हीं हालातों में उसकी मौत हो गई। लोगों ने इसे भी लापरवाही का मामला बताया परंतु अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ ने सारी रात मृतक मरीज की सुध नहीं ली और उसके ड्रिप तथा पल्स ऑक्सीमीटर भी लगा रहा जबकि उसके साथ लेटाया गया जिंदा मरीज सारी रात दहशत में रहा। सुबह लोगों के बताने पर मृतक मरीज की ड्रिप उतर गई और उसे मोर्चरी में भेज दिया गया।
यह मामला मीडिया में आने पर चर्चा का विषय बना पर जांच कमेटी गठित कर दी गई। उन दिनों जिले में एक ईमानदार सिविल सर्जन तैनात होने के कारण उन्होंने इस घोर लापरवाही जिम्मेदार डॉक्टर पर एक्शन लेने की सिफारिश स्वास्थ्य निदेशक को कर दी। बताया जाता है कि तब से लेकर अब तक यह रिपोर्ट स्वास्थ्य निदेशक द्वारा दबा कर रखी गई है और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि वर्तमान स्वास्थ्य निदेशक पहले सिविल अस्पताल में तैनात रही है और उसके बाद जिले की सिविल सर्जन भी बनी रही क्योंकि यह मामला लुधियाना सिविल अस्पताल से संबंधित है, इसलिए इस मामले में व्याप्त चर्चाओं पर गौर किया जाए तो यह मामला जिम्मेदार डॉक्टरो के प्रति स्वास्थ्य निदेशक द्वारा सॉफ्ट कॉर्नर रखने का बताया जाता है। जहां तक डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों के मरने का सवाल है तो सिविल अस्पताल में ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं और इसमें जिम्मेदारी कम ही तय की जाती है।