Edited By Kamini,Updated: 22 Aug, 2025 01:57 PM

पंजाब एवं हरियाणा के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की जिला अदालतों में फर्जी पहचान और फर्जी जमानत बांड की बढ़ती समस्या पर हाईकोर्ट सख्त नजर आ रहा है।
चंडीगढ़ (गंभीर): पंजाब एवं हरियाणा के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की जिला अदालतों में फर्जी पहचान और फर्जी जमानत बांड की बढ़ती समस्या पर हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से जवाब मांगा है। इस गंभीर मुद्दे को उजागर करते हुए, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें इस व्यापक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। यह याचिका मोहाली निवासी कंवर पहल सिंह ने दायर की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, फर्जी जमानत बांड की समस्या नई नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में इसने एक संगठित अपराध का रूप ले लिया है।
इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए, हाईकोर्ट ने स्वयं 10 मई, 2024 को एक ऐतिहासिक निर्देश जारी किया था। कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों को धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए जिला अदालतों में आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन सेवाओं को लागू करने का निर्देश दिया था। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि आवश्यक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सहित पूरी प्रणाली 4 महीने के भीतर चालू हो जानी चाहिए। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता था। हालांकि, याचिकाकर्ता का आरोप है कि संबंधित पक्षों ने उच्च न्यायालय के स्पष्ट और समयबद्ध निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। आदेश जारी हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन जिला कोर्ट में इस महत्वपूर्ण प्रणाली को स्थापित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इस मामले की पुष्टि के लिए याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार अधिनियम का सहारा लिया। उन्होंने विभिन्न जिला कोर्ट में आरटीआई आवेदन दायर किए, जिससे एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। प्राप्त जानकारी से पता चला कि आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन सेवाएँ अभी तक कहीं भी स्थापित नहीं की गई हैं। यह लापरवाही न केवल एक प्रशासनिक विफलता है, बल्कि यह उच्च न्यायालय के आदेशों का सीधा उल्लंघन है। इसी आधार पर, याचिका में संबंधित पक्षों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों को उनके लापरवाह व्यवहार के लिए दंडित नहीं किया जाता, तब तक भविष्य में भी ऐसे महत्वपूर्ण आदेशों का पालन नहीं किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली पीठ ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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