ठेके पर काम कर रहे JE होंगे रेगुलर, हाईकोर्ट ने जारी किए सख्त आदेश

Edited By Vatika,Updated: 12 Aug, 2025 09:56 AM

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इंजीनियरों को रेगुलर करने का बड़ा फैसला सुनाया है।

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम में साल 2007 से 2010 के बीच ठेके पर नियुक्त जूनियर इंजीनियरों को रेगुलर करने का बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस जगमोहन बंसल की सिंगल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति उचित प्रक्रिया के तहत विज्ञापन जारी कर, निर्धारित योग्यता और आयु सीमा के आधार पर स्वीकृत पदों पर की गई थी। ऐसी स्थिति में 15 साल से अधिक समय तक उन्हें ठेके पर रखना न केवल अनुचित है, बल्कि यह शोषण की श्रेणी में आता है। अदालत ने निर्देश दिया कि सभी याचिकाकर्ताओं को 6 हफ्तों के भीतर रेगुलर किया जाए। अगर तय समय सीमा में आदेश लागू नहीं होते, तो उन्हें स्वत: रेगुलर माना जाएगा और नियमित वेतनमान का लाभ मिलेगा।

याचिकाकर्ता दिलदीप सिंह और अन्य को 2007 से 2010 के बीच नगर निगम द्वारा विज्ञापन के माध्यम से ठेके पर नियुक्त किया गया था। उस समय अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष थी और आवश्यक योग्यता सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा थी। चयन प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच और इंटरव्यू शामिल था। नियुक्ति पत्र में स्पष्ट किया गया था कि यह नियुक्ति ठेके पर होगी और स्थायी नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकेगा।

साल 2012 में निगम ने ठेके के कर्मचारियों को नियमित करने के लिए समिति का गठन किया, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। 2014 और 2016 में निगम ने जनरल हाउस में प्रस्ताव पास कर रेगुलर करने की सिफारिश की और इसे चंडीगढ़ प्रशासन को भेजा, लेकिन प्रशासन ने कोई नीति न होने का हवाला देकर प्रस्ताव खारिज कर दिया।

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के जैग्गो बनाम भारत संघ (2024) और उमा देवी फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि लंबे समय तक अस्थायी कर्मचारियों को, पद खाली रहने के बावजूद, ठेके पर रखना अस्वीकार्य है। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता बैकडोर एंट्री से नहीं आए थे, बल्कि खुले विज्ञापन और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से चयनित हुए थे। अदालत ने टिप्पणी की कि यह अनैतिक, असंगत और मनमाना है कि नियमित ग्रुप-डी कर्मचारी इंजीनियरों से अधिक वेतन ले रहे हैं। यह स्थिति प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी अव्यवहारिक है और संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। अदालत ने प्रशासन को यह संदेश भी दिया कि सरकारी संस्थानों को मॉडल नियोक्ता की तरह कार्य करना चाहिए और लंबे समय तक ठेके या अस्थायी कर्मचारियों का शोषण बंद होना चाहिए।

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