सरकार ने नौकरी में एक्सटैंशन की बंद, बाबुओं ने ‘आउटसोर्स’ का निकाला रास्ता

Edited By Tania pathak,Updated: 26 Oct, 2020 10:17 AM

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पंजाब सरकार ने कुछ वर्षों से सेवामुक्ति के बाद दो वर्ष की एक्सटैंशन देने के फैसले को पलट कर सरकारी कर्मियों की सुविधा को बंद कर दिया...

चंडीगढ़ (रमनजीत सिंह): पंजाब सरकार ने कुछ वर्षों से सेवामुक्ति के बाद दो वर्ष की एक्सटैंशन देने के फैसले को पलट कर सरकारी कर्मियों की सुविधा को बंद कर दिया था। तर्क दिया गया था कि एक्सटैंशन पर होने वाली नियुक्तियों की वजह से नई भर्ती के लिए युवाओं का इंतजार और लंबा जाता है।
राज्य सरकार को अपना चुनावी वायदा भी पूरा होते नहीं दिख रहा था जिस वजह से सर्विस एक्सटैंशन देने पर रोक लगाई गई थी। लेकिन गत कुछ माह के दौरान ‘बाबुओं’ ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। यह तोड़ है ‘आऊटसोर्स’ के जरिए भर्ती। इस रास्ते का इस्तेमाल करके कई विभागों की ओर से बड़े स्तर पर अपने ही सेवामुक्त कर्मियों को दोबारा ‘अप्वाइंट’ किया गया है।

खजाने की हालत देख लिया था दो वर्ष की एक्सटैंशन देने का फैसला
वर्ष 2017 में बहुमत के साथ सत्ता में आई कै. अमरेंद्र सरकार ने खजाने की हालत खस्ता बताते हुए सभी कैटेगरी के अधिकारियों और कर्मचारियों को 2 वर्ष की सॢवस एक्सटैंशन ऑप्शन देने का फैसला लिया था। इससे सेवामुक्त होने वाले हजारों कर्मियों के सेवामुक्ति लाभ एकसाथ देने से राहत मिली थी। सरकार की ओर से सरकारी सेवा नियमों में बदलाव के बाद बहुत ही कम अधिकारी-कर्मी ऐसे थे, जिन्होंने 58 वर्ष की सेवा पूरी होने पर सेवामुक्ति ली हो, खासकर उन पदों पर आसीन अधिकारी-कर्मी जिन्हें मुलाजिम भाईचारे में ‘मलाईदार’ पद कहा जाता है।

सरकार के ही गले की फांस बन गया राहत देने वाला यह फैसला
हालांकि कैप्टन सरकार ने सेवामुक्त होने पर एक दम पडऩे वाले आर्थिक बोझ से जरूर राहत हासिल कर ली थी, लेकिन यह कुछ देर की ही साबित हुई। इस फैसले के बाद पदों के खाली होने की प्रक्रिया धीमी होने लगी और सरकार के सामने युवाओं की भर्ती न होने का संकट खड़ा हो गया। कांग्रेस ने 2017 विधानसभा चुनावों के दौरान मैनीफैस्टो में ‘घर-घर रोजगार’ का वायदा किया था। उसे पूरा करने के लिए सरकारी पदों का खाली होना जरूरी था। यही नहीं, एक्सटैंशन की वजह से पदों के खाली न होने का खमियाजा जूनियर अधिकारियों व कर्मियों को प्रोमोशन लटकने के तौर पर भुगतना पड़ा। ज्यादातर कर्मचारी यूनियनों ने सरकार के पास स्कीम का विरोध भी जताया था। बड़े स्तर पर कर्मियों की खिलाफत और युवाओं की भर्ती न होने से ‘बड़े वोट बैंक’ के रुष्ठ होने की संभावना भांपकर सरकार भी सांसत में आई। 

यही कारण था कि 2022 चुनावों को ध्यान में रखकर ही फरवरी में बजट-सत्र दौरान विधानसभा में ही सर्विस एक्सटैंशन वाली ऑप्शन को बंद करने का ऐलान कर दिया गया। उसके बाद मार्च में कैबिनेट बैठक दौरान ‘पंजाब सिविल सर्विसिज रूल्स, वॉल्यूम 1 पार्ट 1 के 3.26 (ए)में फिर बदलाव कर सेवामुक्ति की आयु 58 वर्ष कर दी गई और एक्सटैंशन को बंद कर दिया गया। 

टैक्नीकल सर्विसिज की जरूरत, स्टाफ की कमी को बनाया गया आधार
मार्च में एक्सटैंशन संबंधी फैसला लेने के साथ ही हालांकि एक्सटैंशन देना बंद हो गया, लेकिन ‘बाबुओं’ ने नया रास्ता निकाल लिया जिसे आऊटसोर्स और री-इम्प्लाइमैंट कहा जा रहा है। इसके लिए बाकायदा वित्त विभाग से भी अनुमति हासिल कर ली गई है। इसके लिए टैक्नीकल सर्विसिज की जरूरत, स्टाफ की कमी व प्रोजैक्टों का काम रुकने को आधार बनाया गया है। जानकारी मुताबिक इस रास्ते से न केवल स्थानीय निकाय विभाग में ही करीबन 566 विभिन्न पदों को भरने की कवायद की गई जबकि जल स्रोत विभाग में 3 सुपरिंटैंडैंट, 15 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर व 30 ड्राफ्ट्समैन, सी-पाईट, जल सप्लाई एवं सैनीटेशन, पी.डब्ल्यू.डी. जैसे भी कई विभाग हैं, जिनमें ‘आऊटसोर्स’ व री-इम्प्लाइमैंट का रास्ता पकड़ा गया है। वहीं, रैवेन्यू विभाग में पटवारियों की कमी को पूरा करने के लिए भी सेवामुक्त पटवारियों की री-इम्प्लाइमैंट का सहारा लिया जा रहा है।

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