Edited By Tania pathak,Updated: 04 Aug, 2021 07:51 PM
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही सियासत में हलचल पैदा हो गई है। चाहे वो सिद्धू के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद हो या अध्यक्ष बनने के बाद....
चंडीगढ़: पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही सियासत में हलचल पैदा हो गई है। चाहे वो सिद्धू के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद हो या अध्यक्ष बनने के बाद उनके कामकाज का तरीका। सिद्धू के एक्टिव मोड में आने के बाद कैप्टन 'खेमे' के मंत्रियों में एक अलग तरह का सहम का माहौल देखा जा रहा है। ऐसी ही एक तस्वीर तब देखने को मिली जब पंजाब में बढ़ रहे नशा तस्करों को रोकने के लिए सिद्धू का दबाव कैप्टन पर हावी होने लगा।
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में बड़े ड्रग पेडलर्स को पकड़ने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के दबाव के बाद आज राज्य के गृह विभाग ने एक एस.टी.एफ को एक विशेष पत्र लिखा है। राज्य के गृह विभाग ने मामले की जांच में देरी का सारा दोष एस.टी.एफ. पर मढ़ते हुए चिठ्ठी में देर का कारण का पूछा है। चिट्ठी में विभाग ने साफ कहा कि इस मामले में अगर कोई देरी हुई है तो वो सिर्फ विशेष कार्य बल की तरफ से हुई है। इतना ही नहीं विभाग ने आवश्यक कार्रवाई में तीन साल की देरी पर भी कई सवाल खड़े किए है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि एस.टी.एफ. की तरफ से ही एक जांच में एस.एस.पी का नाम सामने आने के बाद शीर्ष तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन उस बारे में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। इस बारे में विशेष कार्य बल जवाब दिया गया कि मामले की जांच रिपोर्ट पहले ही उच्च न्यायालय में जमा कर दी गई थी लेकिन अदालत या सरकार द्वारा आगे कोई निर्देश नहीं दिया गया था। इस जवाब के बाद अब सुरक्षा बल और पंजाब सरकार अपनी तरफ से हुई देरी को नकारने लगे है।
'बड़ी मछलियों' के खिलाफ सबूत है तो तुरंत करते कार्रवाई - गृह विभाग
गृह विभाग ने तो ये बयान भी जारी कर दिया कि अगर एस.टी.एफ. के बाद 'बड़ी मछलियों' के खिलाफ सबूत है या कोई जांच के लिए कड़े क़ानून है तो किसी सरकार या कोर्ट आदेश की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा इस मामले में हाईकोर्ट से कोई स्टे ऑर्डर नहीं है। ऐसे में उन्हें रुकने की बजाए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी।
गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से पंजाब की सियासत में खींचतान का काम जारी है। एक तरफ पंजाब कांग्रेस राज्य से नशे को खत्म करने के वायदे से दूर कड़ी है वही अब इस मामले में एक दूसरे पार आरोप इस मामले की जांच को और लंबित कर सकता है।
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