केंद्रीय बजट में चुनौतियां: मंदी के कारण हालात खराब, उद्योग व व्यापार जगत अपने कारोबार को समेटने लगे

Edited By Sunita sarangal,Updated: 16 Jan, 2020 09:32 AM

due to recession industry world start to consolidate their business

जी.एस.टी. ने व्यापारियों की इच्छाशक्ति को खत्म कर दिया

जालंधर(धवन): केंद्रीय वित्त मंत्री 1 फरवरी को अपना बजट पेश करने जा रही है। इस बजट में वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट से किस तरह बाहर निकाला जाए।जालंधर के वरिष्ठ चार्टर्ड अकाऊंटैंट आर.एस. कालड़ा ने बताया कि उन्होंने बताया कि हम पिछले कई बजटों में यह देखते आ रहे हैं कि वित्तमंत्री बजट पेश करते समय करों की वसूली को बढ़ाने, काले धन पर नकेल डालने और विदेशों से काला धन वापस लाने संबंधी योजनाओं पर ध्यान देते हैं।

उन्होंने कहा कि इस बजट में समय की मांग ही कुछ विचित्र है। इस बजट में वित्त मंत्री को विदेशों से काला धन लाने की बजाय सफेद धन लाने पर जोर देना होगा क्योंकि हम जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है और जी.डी.पी. की दर 5 प्रतिशत से कम है। इस कम जी.डी.पी. दर के कारण जो आप्रवासी भारतीय लोग अपनी पूंजी का निवेश अब भारत में करने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं और जो पूंजी उन्होंने पहले भारत में निवेश की थी वह भी धीरे-धीरे भारत से निकाल कर विदेशों में लगा रहे हैं। इस तरह भारत को विदेशी निवेश का नुक्सान और नए निवेश के अवसरों दोनों से हाथ धोने पड़ रहे हैं इसलिए इस दोहरी मार को रोकने के लिए वित्त मंत्री को कोई ऐसी योजना पर ध्यान देना होगा जिससे आप्रवासी भारतीय अपनी पूंजी का निवेश भारत में करने में प्रोत्साहित हों।

कालड़ा ने बताया कि व्यापारी वर्ग अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में भी कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कई व्यापारी घरानों ने तो अपना व्यापार भारत से समेटना शुरू कर दिया है और विदेशों में व्यापार की तलाश शुरू कर दी है। इसका मुख्य कारण एक तो जी.एस.टी. कानून की जटिलताएं हैं। इसने व्यापारियों की इच्छाशक्ति को ही खत्म कर दिया है और सभी व्यापारी वर्ग अपने भविष्य की चिंता में डूबे हुए हैं। उन्होंने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री का यह सपना है कि भारत 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने तो इसके लिए भारत को 9 प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर से आगे बढ़ना होगा। इसके लिए भारत को 2021 में 3.3 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य प्राप्त करना होगा। वित्त मंत्री को इस बजट में सरकारी खर्च को बढ़ाना होगा और इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और जिससे देश में निवेश के साधन और बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री को व्यापारी वर्ग शांतपूर्वक बनाना होगा ताकि व्यापारी अपना कारोबार बिना किसी रोक-टोक के आगे बढ़ा सके।

जी.एस.टी. को सरल बनाए बिना भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था नहीं बनेगी
कालड़ा ने कहा कि सरकार को ग्रामीण इलाकों में वस्तुओं की मांग को बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. और आयकर कानून में जो जल्दी-जल्दी बदलाव किए जाते हैं, से भी व्यापारी वर्ग बहुत निराश है इसलिए सरकार को इस बजट में ऐसे व्यापारी वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर ही नए कानून बनाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि अगर कानून सरल बनते हैं तो यह जो मंदी है वह जल्द ही समाप्त हो जाएगी और व्यापारियों का विश्वास सरकार में बन जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक के प्रैजीडैंट जिम योंग किम ने कहा है कि जी.एस.टी. अगर सरल हो जाता है तो इसका प्रभाव आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को नया रूप देगा और तभी हम 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं।

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