Edited By Subhash Kapoor,Updated: 12 Apr, 2025 09:46 PM

आज हनुमान जयंती के अवसर पर श्री अनंतगुरु ॐ वरुण अंतःकरण जी का कहना है कि "हनुमान केवल बल के प्रतीक नहीं, वे आत्मज्ञान, निष्ठा और पूर्ण समर्पण की मूर्ति हैं।" वे वह शक्ति हैं जो जीवन के हर अंधकार में प्रकाश बनकर खड़े रहते हैं।
जालंधर : शनिवार को श्री हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर पूरे नगर में उत्साह और भक्ति मय वातावरण देखने को मिला तथा हनुमान मंदिर सहित नगर के अन्य मन्दिरों में दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा। हनुमान जयंती के अवसर पर श्री अनंतगुरु ॐ वरुण अंतःकरण जी का कहना है कि "हनुमान केवल बल के प्रतीक नहीं, वे आत्मज्ञान, निष्ठा और पूर्ण समर्पण की मूर्ति हैं।" वे वह शक्ति हैं जो जीवन के हर अंधकार में प्रकाश बनकर खड़े रहते हैं। श्री शिव शंकर, श्री मां आदिशक्ति और श्री राम के एकाकार रूप का ज्ञान और उनके प्रति हनुमानजी की भक्ति, ज्ञान के प्रति उनका समर्पण, और समाज के प्रति उनकी सेवा भावना — यही उन्हें भक्त शिरोमणि बनाता है। भक्त शिरोमणि - जो सर्वश्रेष्ठ भक्त हैं जिन्हें भक्ति का पूर्ण ज्ञान है और जो सबको भक्ति के जान से भर देते हैं। "हनुमान जी में केवल भक्ति नहीं, विवेक है। केवल शक्ति नहीं, नम्रता है। केवल गति नहीं, स्थिरता है।" वे सिखाते हैं कि यदि मन स्थिर हो और नीयत शुद्ध, तो असंभव भी संभव बन जाता है।
गुरु जी का कहना हैं कि "हनुमान वह चेतना हैं जो हमें सिखाती है कि जीवन में सबसे बड़ी शक्ति भक्ति है, सबसे बड़ा ज्ञान सेवा है और सबसे बड़ा योग है — स्वयं को अपने ईश्वर में समर्पित कर देना।" आज के समाज में हनुमान जी की प्रासंगिकता जहाँ अहंकार, दिखावा और आत्मविस्मृति हावी है, वहाँ हनुमान जी का आदर्श एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तम्भ है।
उन्होंने कहा कि वे गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव, कार्य में उत्कृष्टता और मौन सेवा व बिना फल की इच्छा के कर्म सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि "हनुमान जन्मोत्सव केवल एक पूजन नहीं, आंतरिक भक्ति और आत्मबल जाग्रत करने का दिन है।" हर युवा, जो अपने लक्ष्य से भटक रहा है — उसे हनुमान जी से प्रेरणा लेनी चाहिए कि जब ध्यान एक लक्ष्य पर हो और मन भक्ति से परिपूर्ण हो, तो सफलता स्वयं आगे झुकती है। "हर युग में जब मनुष्य भूल जाता है कि विनम्रता ही महानता है, तब हनुमान स्मरण से ही मन निर्मल होता है।"
हनुमान जन्मोत्सव के इस पावन दिन श्री हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए रात 10:30 बजे के बाद 21 पाठ श्री हनुमान चालीसा के साथ 21 बार श्री राम स्तुति का पाठ करने से प्रभु प्रसन्न होंगे। 21 पाठ श्री हनुमान चालीसा प्रभु आवाहन का सबसे सरल मार्ग है और श्री राम स्तुति प्रभु प्रसन्नता का विशेष माध्यम है। भक्तों के मुख से श्री राम स्तुति प्रभु को अत्यंत प्रशांत प्रदान करती है और प्रभु भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
